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फिल्मी है राजू के घर की कहानी, तंगहाली में पिता ने तीन लाख में बेचा और 14 साल बाद 10 गुना दाम देकर वापस खरीदा

कानपुर में राजू के पिता बलई काका ने किदवई नगर के नयापुरवा में 1960 में एक मंजिल का मकान बनवाया था जिसे 1991 में आर्थिक तंगी के चलते तीन लाख रुपये में बेचना पड़ा था। राजू ने वर्ष 2005 में ज्यादा कीमत देकर दोबारा मकान को वापस खरीदा था।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Wed, 21 Sep 2022 11:43 PM (IST)Updated: Wed, 21 Sep 2022 11:43 PM (IST)
फिल्मी है राजू के घर की कहानी, तंगहाली में पिता ने तीन लाख में बेचा और 14 साल बाद 10 गुना दाम देकर वापस खरीदा
कानपुर के मकान में बीता था राजू का बचपन।

कानपुर, जागरण संवाददाता। दूसरों को खुशी देने और हंसाने वाले मशहूर काॅमेडियन राजू श्रीवास्तव (Raju Srivastav) अंदर से कितना भावुक थे, यह बहुत कम लोग ही जानते हैं। कानपुर में उनके मकान की दास्तां किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। जिस मकान में पूरा बचपन बीता उसे लेकर वह बेहद भावुक रहे और हालात ठीक होने के बाद उसे दस गुना दाम देकर वापस खरीदकर अपना सपना पूरा किया।

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राजू श्रीवास्तव के पिता रमेश चंद्र श्रीवास्तव उर्फ बलई काका ने 1960 में किदवई नगर स्थित नयापुरवा में मकान बनवाया था। इसी मकान में राजू श्रीवास्तव (Raju Srivastav) का जन्म हुआ था और उनका पूरा बचपन बीता था। परिवार के आर्थिक हालात खराब हुए तो राजू ने स्टैंडअप कामेडियन में भविष्य तलाशने के लिए मुंबई रुख किया ताकि कुछ मदद कर सकें। राजू को मुंबई में जब काम नहीं मिला तो वह आटो चलाने लगे।

इधर आर्थिक हालत खराब हुई तो पिता ने वर्ष 1991 में किदवई नगर नयापुरवा का मकान तीन लाख रुपये में बेच दिया। राजू को जब मकान बिकने की बात पता चली तो वह बेहद भावुक हुए और उन्होंने निश्चय किया वह अपना मकान वापस लेकर रहेंगे। मकान बेचने के बाद राजू के माता-पिता बारादेवी के चंद्रनगर मोहल्ले में रहने लगे थे। इस बीच उनके बड़े भाई रमन श्रीवास्तव ने यशोदा नगर में मकान खरीद लिया और माता-पिता भी वहीं रहने लगे। लेकिन, राजू को अपना पुराना मकान ही याद आता था।

मुंबई में राजू को अपना मकान याद आता रहा। स्टैंडअप कामेडियन के रूप में उन्होंने पैर जमा लिये और हालात काफी अच्छे हो गए तो वह अपना मकान वापस पाने के लिए कानपुर आए। जिस समय मकान बेचा गया तब वह एक मंजिल का था और खरीदार ने उसे तीन खंड तक बनवा दिया था। मकान मालिक से बात की गई और परिचितों को बीच में डाला गया। बचपन की जुड़ी यादों और पिता की मेहनत की कमाई से बने मकान को दोबारा पाने के लिए राजू ने मकान की कीमत समय बाजार मूल्य से कहीं अधिक लगा दी।

राजू श्रीवास्तव (Raju Srivastav) ने वर्ष 2005 में 28 लाख रुपये देकर अपना मकान वापस पा लिया। इसके बाद राजू के माता पिता और छोटे भाई काजू इस मकान में आकर रहने लगे। 2013 में राजू श्रीवास्तव चुनाव लड़ने कानपुर आए तो पड़ोस का एक दूसरा मकान भी खरीद लिया और उसे अपने छोटे भाई काजू को दे दिया। राजू के माता-पिता की अंतिम यात्रा इसी मकान से निकली थी।


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