गंगा में गिर रहे 22 नालों को बंद करें, कोर्ट में अर्जी
जागरण संवाददाता, कानपुर : गंगा नदी में 22 नालों का गंदा पानी गिर रहा है, जिससे गंगा नदी का पानी
जागरण संवाददाता, कानपुर : गंगा नदी में 22 नालों का गंदा पानी गिर रहा है, जिससे गंगा नदी का पानी न तो आचमन लायक बचा है और न ही पीने के योग्य। अलबत्ता इससे बीमारियां और फैल रही हैं। इस दलील को आधार बनाकर गुरुवार को जनपद न्यायाधीश शशिकांत शुक्ला की अदालत में अर्जी दी गई है। न्यायालय ने पक्षकारों से रिपोर्ट मांगी है।
गुरुवार को परमट निवासी समाजसेवी संदीप कश्यप ने जनपद न्यायाधीश की अदालत में प्रार्थनापत्र दिया और गंगा नदी में गिर रहे 22 नालों को बंद करने की मांग की। अधिवक्ता अजीत राजपूत ने बताया कि लगातार गंदा पानी नदी में गिरने से पानी गंदा हो रहा है। गंगा नदी आस्था से जुड़ी है, लोग इसमें स्नान करते हैं और जल ग्रहण करते हैं, जिससे कई तरीके की बीमारियां फैलने का खतरा है। जनमानस को भी नुकसान पहुंच सकता है।
समाजसेवी ने इस मामले में केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार के अलावा जिलाधिकारी और नगर आयुक्त को पक्षकार बनाया है। अदालत ने पक्षकारों से रिपोर्ट मांगी है और अगली सुनवाई के लिए 23 मार्च की तिथि निर्धारित की है।
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दो माह पूर्व दी नोटिस
अदालत में मामला दायर करने वाले संदीप कश्यप ने बताया कि दो माह पूर्व सीपीसी की धारा 80 सपठित धारा 571, नगर महापालिका अधिनियम 1959 के तहत यूनियन आफ इंडिया द्वारा सचिव भारत सरकार नई दिल्ली और उत्तर प्रदेश राज्य द्वारा जिलाधिकारी कानपुर नगर और नगर आयुक्त को नोटिस दी गई थी जिसका उक्त पक्षकारों ने कोई उत्तर नहीं दिया।