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अनियोजित प्लानिंग, लेटलतीफी व धनाभाव का शिकार हुई गंगा

अनियोजित प्लानिंग, लेटलतीफी, बकाया भुगतान व स्वीकृति का इंतजार का शिकार गंगा हो रही है। गंगा सफाई के लिए शुरू की गयी जवाहर लाल नेहरू नेशन अरबन रिन्यूवल मिशन योजना में चल रहे सीवरेज प्रोजेक्ट फंस हुए है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 24 Apr 2018 08:34 AM (IST)Updated: Tue, 24 Apr 2018 08:34 AM (IST)
अनियोजित प्लानिंग, लेटलतीफी व धनाभाव का शिकार हुई गंगा
अनियोजित प्लानिंग, लेटलतीफी व धनाभाव का शिकार हुई गंगा

जागरण संवाददाता, कानपुर: अनियोजित प्लानिंग, लेटलतीफी, बकाया भुगतान व स्वीकृति का इंतजार का शिकार गंगा हो रही है। गंगा सफाई के लिए शुरू की गयी जवाहर लाल नेहरू नेशन अरबन रिन्यूवल मिशन योजना में चल रहे सीवरेज प्रोजेक्ट फंस हुए है। प्रोजेक्ट न चलने के कारण ट्रीट होने वाला सीवर का पानी सीधे गंगा में जा रहा है। ऐसा नहीं है कि मंत्री से लेकर अफसरों तक को जानकारी नहीं है। सभी को फंसे प्रोजेक्ट की जानकारी है। 155 करोड़ रुपये के चलते जेएनएनयूआरएम की साढ़े सात अरब रुपये की योजना फंसी हुई है। मजे की बात यह है कि डेढ़ साल हो रहा है लेकिन अभी तक सरकार ने कोई हल नहीं निकाला है। इससे पता चल सकता है कि गंगा सफाई के प्रति कितने जतन से सफाई का अभियान चलाया जा रहा है।

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गंगा दूषित होने के साथ 15 लाख लोग सीवर से जूझ रहे

अव्यवस्थित प्लानिंग के चलते सीवरेज योजना फंस गई है। इसकी वजह से गंगा दूषित होने के साथ ही 15 लाख लोग सीवर समस्या से भी जूझ रहे हैं। दस साल पुरानी इस योजना की लागत लेटलतीफी, बढ़ती महंगाई के कारण 518 करोड़ से 744 करोड़ रुपये पहुंच गई है। इसमें अभी 155.5 करोड़ रुपये बकाया हैं। दो ट्रीटमेंट प्लांट बने नहीं हैं और आठ किलोमीटर गहरी सीवर लाइन पड़नी बाकी है। कैंट में सीवर लाइन न पड़ने के कारण उत्तर व दक्षिण की सीवर लाइन न जुड़ने से जाजमऊ तक पानी नहीं पहुंच पा रहा है।

जेएनएनयूआरएम योजना का हाल

फेज एक

पहले लागत -190 करोड़ रुपये

बढ़ी लागत - 248 करोड़ रुपये

अब लागत- 352 करोड़ रुपये

बकाया- 104 करोड़ रुपये

काम बाकी- 3.6 किलोमीटर सीवरेज लाइन, बनियापुरवा में 15 एमएलडी व वाजिदपुर में 42 एमएलडी में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट।

फेज-तीन

पहले लागत - 207 करोड़

बढ़ी लागत - 248 करोड़ रुपये

बकाया- 51 करोड़ रुपये

काम का हाल- सजारी में अभी तक 43 एमएलडी का सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट चालू हो गया है लेकिन सीवर लाइन न होने से कैसे पानी ट्रीट हो और नदी में डाला जा सके।

सीईटीपी का मरम्मत काम रुका, नहीं पूरी क्षमता से चल रहा

गंगा को निर्मल-अविरल करने को लेकर केवल कागजी कार्रवाई चल रही है। नतीजा, वाजिदपुर में लगा 36 एमएलडी कंबाइंड एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीईटीपी) मरम्मत के अभाव में बंद होने की कगार पर पहुंच गया है।

वाजिदपुर में स्थित 36 एमएलडी सीईटीपी से 70 फीसद दूषित पानी ट्रीट हो पा रहा है, बाकी 30 फीसद सीधे गंगा में गिर रहा है। प्लांट में घरेलू 27 एमएलडी की जगह 20 एमएलडी और टेनरी का 9 एमएलडी की जगह पांच एमएलडी पानी ही ट्रीट हो पा रहा है। बाकी सीधे गंगा में गिर रहा है।

एक वर्ष से ठंडे बस्ते में मरम्मत का प्रस्ताव

जून 2017 में सीईटीपी की मरम्मत के लिए 17.88 करोड़ रुपये का प्रस्ताव बना था। शासन को भेज भी दिया गया लेकिन आज तक प्रस्ताव स्वीकृत नहीं किया गया।

मंत्री से लेकर अफसरों तक मामला है।

क्या कहते हैं जिम्मेदार

सीईटीपी की मरम्मत के लिए जल्द 17.88 करोड़ रुपये नहीं मिले तो प्लांट का संचालन मुश्किल होगा। प्लांट बंद हो जाएगा। कुंभ मेले से पहले धन मिल जाए तो मरम्मत हो पाएगी अन्यथा गंगा में दूषित पानी जाएगा। इसके अलावा जेएनएनयूआरएम योजना के फेज एक में 104 और फेज तीन में 51 करोड़ रुपये अभी तक नहीं मिले है इसके चलते काम नहीं हो पा रहा है। कई बार शासन को पत्र लिख चुके है। - आरके अग्रवाल, महाप्रबंधक जल निगम

परमट घाट में गिर रहा नाला बिगाड़ रहा सौन्दर्यीकरण

नमामि गंगे के तहत परमट घाट का सौन्दयीकरण कराया गया है, लेकिन घाट के बगल में गिर रहा गंदा नाला नहीं रोका गया है। साथ ही धमाचौकड़ी मचा रहे आवारा जानवरों रोका गया है साथ ही गंदगी भी फैली रहती है। अव्यवस्था सौन्दर्यीकरण पर ब्रेक लगा दी है।


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