हर मौसम में शहर का प्रदूषण जानलेवा
जागरण संवाददाता, कानपुर : हर मौसम में शहर का वायु, जल और ध्वनि प्रदूषण जानलेवा हो गया है
जागरण संवाददाता, कानपुर : हर मौसम में शहर का वायु, जल और ध्वनि प्रदूषण जानलेवा हो गया है। सर्दियों में वायु और गंगा प्रदूषण कई गुना बढ़ जाते हैं। इनको रोकना तो दूर, असर को कम करने के सारे प्रयास नाकाफी है। इसके बाद भी क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड हाथ पर हाथ धरे बैठा है, जबकि जिला प्रशासन कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर पा रहा है। जिसका नतीजा है कि बारिश के मौसम में भी कार्बन डाईऑक्साइड (सीओटू), कार्बन मोनोऑक्साइड (सीओ), नाइट्रोजन डाईऑक्साइड (एनओटू), सल्फर डाईऑक्साइड (एसओटू), पॉर्टिकुलेट मैटर (पीएम 10) मानक से कई गुना अधिक है। गंगा में जलस्तर बढ़ने से उसमें प्रदूषण की मात्रा कुछ कम जरूर हुई है। ध्वनि प्रदूषण दिन के साथ ही रात में अधिक हो गया है। अगस्त के पहले हफ्ते में हुई क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिकार्डिग में चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं।
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शास्त्री नगर में सबसे अधिक एसओटू
स्टेशन एसओटू एनओटू पीएम 10
किदवई नगर 8.38 58.38 177.32
जरीब चौकी 8.83 72.13 186.06
पनकी 8.69 65.46 212.70
शास्त्री नगर 100 62.08 151.51
आवास विकास 8.41 68.58 192.33
(किदवई नगर, शास्त्री नगर, आवास विकास आवासीय, जरीब चौकी व्यवसायिक और पनकी औद्योगिक क्षेत्र हैं।)
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वायु प्रदूषण के मानक
एसओटू- 80
एनओटू- 80
पीएम 10- 100
(मात्रा माइक्रोग्राम पर मीटर क्यूब में हैं।)
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गंगा की हालत
मात्रा बिठूर घाट जना गांव
डिओ 6.7 4.2
पीएच 8.19 7.54
बीओडी 3.4 7.2
कोलीफार्म 3800 54000
(मात्रा डिओ, बीओडी और कोलीफार्म मिलीग्राम प्रतिलीटर में है। पीएच (रंग) हैजन में)
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जल प्रदूषण के मानक
डिओ: कम से कम छह मिलीग्राम प्रतिलीटर
पीएच: अधिकतम 10 हैजन पेयजल में
बीओडी: अधिकतम तीन मिलीग्राम प्रतिलीटर
कोलीफार्म: पेयजल में 50 मिलीग्राम प्रतिलीटर
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आवासीय क्षेत्रों में कानफोड़ू शोर
स्टेशन क्षेत्र दिन रात
तिलक नगर आवासीय 73 46
किदवई नगर आवासीय 62 45
पी रोड व्यवसायिक 74 56
चेतना चौराहा व्यवसायिक 75 57
मेडिकल कालेज शांत 55 42
छावनी परिषद शांत 51 43
फजलगंज चौराहा औद्योगिक 77 72
(आंकड़े डेसिबल में है)
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ध्वनि के मानक (डेसिबल में)
क्षेत्र दिन रात्रि
आवासीय 55 45
व्यवसायिक 65 55
शांत 50 40
औद्योगिक 75 77
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नहीं उठाए गए कदम
जनवरी में सड़कों के किनारे और पत्तियों में पानी का छिड़काव किया गया। निर्माण सामग्री को ढक कर रखने, खुले में कूड़ा न जलाने का निर्देश जारी हुआ था, लेकिन उस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
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वायु प्रदूषण को कम करने के लिए जिला प्रशासन और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड लगातार काम कर रहा है। ध्वनि प्रदूषण के लिए भी मॉनीट¨रग की जा रही है। गंगा में प्रदूषण कुछ कम हुआ है।
- कुलदीप मिश्र, क्षेत्रीय अधिकारी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड