निजी के लिए सरकारी बसों की 'बलि'
खादी व खाकी के संरक्षण में फल-फूल रहा खेल, प्रशासन आंखें मूंदे, आरटीओ, ट्रैफिक, इलाकाई पुलिस का गठजोड़, रोडवेज अधिकारियों की भी दबाव में आंखें बंद
(प्रकरण-एक)
उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (रोडवेज) ने चार साल पहले इंदौर के लिए दो बसें शुरू की थीं। सवारियां मिलीं और बसें भी दौड़ी लेकिन एक माह के भीतर बसों का टाइम टेबल बदला और बसें थम गईं जबकि निजी बस कंपनियों की पांच बसें आज भी इंदौर के लिए दौड़ रही हैं, यात्रियों की स्थिति यह है कि तीन से चार दिन पहले सीट बुक करानी पड़ती है।
(प्रकरण-दो)
रोडवेज ने कानपुर से जयपुर के लिए बस सेवा शुरू की। यात्रियों में भी इसको लेकर उत्साह था लेकिन बस कभी भी झकरकटी बस अड्डे पर समय से नहीं आई। धीरे-धीरे कब सेवा समाप्त कर दी गई, किसी को पता ही नहीं चला। यात्रियों ने निजी बसों की ओर रुख किया। आज भी निजी बस आपरेटर कानपुर-जयपुर सात आठ बसें संचालित कर रहे हैं और इसमें भी सीटों की एडवांस बुकिंग रहती है।
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जागरण संवाददाता, कानपुर : ये दो उदाहरण यह बताने के लिए काफी हैं कि दौड़ती रोडवेज की व्यवस्था को किस कदर बदहाल किया जा रहा है। यात्री सफर करने को तैयार हैं लेकिन रोडवेज बसें चलाने को तैयार नहीं है। निजी बसें जहां फुल लोड पर चल रही हैं, वहीं रोडवेज की बसें कब बंद कर दी जाती हैं, किसी को पता ही नहीं चलता। दरअसल निजी बस आपरेटरों का कारोबार बढ़ाने के लिए सरकारी बसों की बलि दी जा रही है लेकिन अफसर इसे देखने को तैयार नहीं हैं। शहर में रोडवेज, आरटीओ, ट्रैफिक पुलिस के साथ ही खादी और खाकी का गठजोड़ भी सरकारी बसों का दुश्मन बना है। शहर प्राइवेट बसों का हब बनता जा रहा है। निजी बसें लोगों से आवागमन में मनमाना किराया वसूल रही हैं, वहीं टैक्स चोरी का माल लाकर रोजाना सरकार को चूना लगा रही हैं।
कहने को तो उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (रोडवेज) की 1400 से अधिक बसें शहीद मेजर सलमान खान अंतरराज्यीय झकरकटी बस अड्डा से चल रही हैं लेकिन उन जगहों के लिए बसें नहीं मिलतीं, जहां प्राइवेट बसें जाती हैं।
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कई प्रांतों तक दौड़तीं निजी बसें
ø कानपुर के फजलगंज से अनवरगंज तक फैले साधारण, स्लीपर और एसी बसों का जाल राजस्थान, गुजरात समेत कई प्रांतों तक फैला है जबकि सरकारी बसें यहां जाती ही नहीं।
लक्जरी प्राइवेट बसें
ø कानपुर से इंदौर, भोपाल, दिल्ली, जयपुर, गोरखपुर, वाराणसी, झांसी, अजमेर, अहमदाबाद प्रमुख शहरों के अलावा नेपाल के काठमांडू तक प्राइवेट बसें फुल होकर दौड़ रही हैं।
रोडवेज का हाल बेहाल
शहीद मेजर सलमान खान बस स्टेशन से चलने वाली अधिकतर बसों की हालत खराब है। कानपुर परिक्षेत्र की मात्र एक बस अजमेर जाती है। एक अजमेर डिपो की बस है जो अजमेर से कानपुर होते हुए लखनऊ चलती है।
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इंसेट..
यात्री से ज्यादा माल ढुलाई
प्राइवेट बसों में यात्रियों से ज्यादा माल की ढुलाई की जा रही है, इन बसों में नीचे साइड में बड़े बॉक्स बने हैं जिनमें कई टन माल आ जाता है। इन बसों से आने वाले माल की जानकारी वाणिज्यकर विभाग को भी है लेकिन कभी कभार छापा मारकर खानापूरी कर देते हैं।
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इंसेट..
कार्रवाई के नाम पर सिर्फ चालान
प्राइवेट बसों को अभयदान का अंदाजा इससे लगा सकते हैं, आरटीओ का प्रवर्तन दल कार्रवाई के नाम पर केवल चालान करता है। सीज करके थाना के हवाले कर दिया तो जुर्माना भर कर फिर रूट पर दौड़ाने लगता है।
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इंसेट..
एक किमी का नियम हवा में
शासनादेश है कि किसी भी रोडवेज बस अड्डा से एक किमी के भीतर कोई भी वाहन डग्गामारी नही करेगा और ऐसा मिला तो क्षेत्रीय थानाध्यक्ष, सीओ पूरी तरह जिम्मेदार होंगे लेकिन फजलगंज चौराहे से सौ से अधिक प्राइवेट बसें दौड़ रही हैं। चंद कदम पर थाना है, चौराहे पर ही ट्रैफिक सिपाही रहते हैं, लेकिन किसी को परवाह नहीं। यही हाल रावतपुर बस अड्डे का है। इस स्थिति के बाद भी परिवहन के अधिकारियों ने शासन से इनपर लगाम लगाने की गुजारिश नहीं की।
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क्या बोले जिम्मेदार
''प्राइवेट बस आपरेटर कागजात पूरे रखते हैं, इसलिए कार्रवाई कैसे करें। कमी मिलती है तो जुर्माने का प्रावधान है, वह चालान का पैसा भरकर बसें छुड़ा लेते हैं। - सुशील कुमार, एसपी ट्रैफिक
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''नियम विरुद्ध चल रही बसों का चालान करने का ही अधिकार है, प्रवर्तन दल चेकिंग में जिन बसों को पकड़ता है, उन्हें थाना के हवाले करता है लेकिन बसें जुर्माना दे छूट जाती हैं। - आदित्य त्रिपाठी, एआरटीओ प्रशासन
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''आरटीओ का प्रवर्तन दल साथ नहीं देता, जब संयुक्त चेकिंग की बात होती तो प्रवर्तनदल साथ जाने से कतराता है। कई बार एसएसपी, एसपी ट्रैफिक को भी इस बाबत लिखा गया है लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होती। - राजीव कटियार, एआरएम इंदौर एसी बस सेवा