Child Murder Case: निर्दयी पिता ने कोर्ट में मानी गलती, कानपुर में मासूम का हुआ अंतिम संस्कार
शुक्रवार देर रात अलंकार श्रीवास्तव ने अपने सात साल के बेटे रुषांक उर्फ तारुष की गला घोंटकर हत्या कर दी थी। तुलिका ने बताया कि दोनों ताऊ बाहर नौकरी करते हैं। उनके आने पर अंतिम संस्कार किया गया।
कानपुर, जेएनएन। सात साल के इकलौते बेटे की हत्या करने वाला पिता अलंकार श्रीवास्तव ने पहले कोर्ट में गलती मानी फिर बोला-बेटे को सांसारिक दु:खों से मुक्त कर दिया। अब उसे कोई परेशान नहीं कर पाएगा। चौबेपुर अस्थायी जेल में वह गुमसुम रहा और किसी से बात नहीं की। रात में खाना भी नहीं खाया। रविवार सुबह ही दाल चावल और एक रोटी खाई। शाम को बंदीरक्षक से बोला, बेटे का शव घर पर होगा, मुझे वहां ले चलो, हालांकि उसने बात अनसुनी कर दी। कार्यवाहक थाना प्रभारी विजय प्रताप ङ्क्षसह ने बताया कि कोर्ट में पेशी के दौरान भी अलंकार चुपचाप रहा। उससे पूछा गया कि तुमने अपने बच्चे को मारा? तो बोला कि गलती हो गई साहब। क्यों मारा? सवाल पर अलंकार बोला कि बेटे को संसारिक दुखों से मुक्त कर दिया। इसके बाद वह रोने लगा था। कोर्ट ने उसे चौबेपुर स्थित अस्थायी जेल भेज दिया। पुलिस परिस्थितियों के आधार पर अन्य बिंदुओं पर भी जांच कर रही है।
बंदीरक्षक से बोला-डॉक्टर को दिखाता तो बच जाती बेटे की जान
जेल प्रशासन के मुताबिक अलंकार डिप्रेशन में दिखा। उसने किसी से बात नहीं की। हालांकि जब सामान्य होता तो बहकी हुई बातें करता। अस्थायी जेल में बंदीरक्षक से उसने कहा-मुझे डॉक्टर को दिखाना चाहिए था। बड़ी गलती हो गई। अगर चला जाता तो बेटे की जान बच जाती।
पत्नी नहीं चाहती थी मुकदमा, पुलिस ने ली तहरीर
पुलिस के मुताबिक हत्या करने के बाद अलंकार शनिवार सुबह करीब साढ़े आठ बजे अलंकार थाने पहुंचा था। उसने ड्यूटी मुंशी से कहा कि साहब, मैंने अपने बेटे को मार दिया है। यह सुनकर मुंशी को विश्वास नहीं हुआ। उन्होंने सोचा कि कोई नशा करके आया है। उन्होंने अलंकार को बैठाया और फिर कार्यवाहक थाना प्रभारी को जानकारी दी। वह थाने पहुंचे और पूछताछ के बाद अलंकार के घर गए। वहां बच्चे का शव पड़ा था। इसके बाद अलंकार की पत्नी से पूछताछ कर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा। उन्होंने पत्नी से तहरीर देने के लिए कहा, लेकिन वह मना करती रहीं। उन्होंने कहा कि साहब अगर ये जेल चले गए तो सब खत्म हो जाएगा। बेटे के बाद पति के बिना हम कैसे जिएंगे। काफी समझाने पर वह तहरीर देने को राजी हुईं।
ताऊ के आने पर नजीराबाद में हुआ अंतिम संस्कार
तारुष का शव शनिवार देर शाम पोस्टमार्टम के बाद घर लाया गया था, लेकिन रविवार शाम को उसका अंतिम संस्कार हो सका। स्वजन लखीमपुर निवासी तारुष के ताऊ अभिषेक श्रीवास्तव व स्वजन का इंतजार करते रहे। इस बीच अन्य रिश्तेदार भी पहुंचे। दोपहर बाद करीब दो बजे अभिषेक घर पहुंचे और शव देख फफक पड़े। बोले, अलंकार ने सब बर्बाद कर दिया। शाम को तारुष के शव को नजीराबाद थाने के सामने कब्रिस्तान में दफनाया गया। इस दौरान मामा अशोक, मौसा, ममेरे भाई शिवम, ससुराल पक्ष के लोग और सीसामऊ थाने का फोर्स रहा।