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ट्रांसजेंडर कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष बोले- हम दूसरे ग्रह से नहीं आए हैं और न ही हमारे लिए कोई अलग धरती है...

फेसबुक लाइव शो ‘किन्नर विमर्श’ पर दूसरे दिन ट्रांसजेंडर कल्याण बोर्ड चंडीगढ़ के अध्यक्ष एमएक्स धनंजय चौहान ने ‘ट्रांसजेंडर शिक्षा का अधिकार’ पर अपनी बात रखी।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Sat, 06 Jun 2020 11:24 AM (IST)Updated: Sat, 06 Jun 2020 11:24 AM (IST)
ट्रांसजेंडर कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष बोले- हम दूसरे ग्रह से नहीं आए हैं और न ही हमारे लिए कोई अलग धरती है...

कानपुर, जेएनएन। वाङ्मय पत्रिका एवं विकास प्रकाशन के संयुक्त तत्वाधान में फेसबुक लाइव शो ‘किन्नर विमर्श’ पर दूसरे दिन ट्रांसजेंडर कल्याण बोर्ड चंडीगढ़ के अध्यक्ष एमएक्स धनंजय चौहान ने ‘ट्रांसजेंडर शिक्षा का अधिकार’ का मुद्​दा उठाया। हलीम मुस्लिम पीजी काॅलेज के सहायक आचार्य, डाॅ. एम. फिरोज खान ने इसपर विमर्श किया।

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लाइव शो पर अपनी बात रखते हुए धनंजय ने कहा हमारे समुदाय के लिए अलग से काॅलेज या विश्वविद्यालय खोले जाने की जरूरत नहीं है, हम साथ पढ़ेंगे तभी बदलाव आएगा। उन्होंने शिक्षण संस्थाओं में अलग ट्रांसजेंडर शौचालय बनाये जाने की मांग उठाई और कहा कि चंडीगढ़ विश्वविद्यालय ने ऐसा किया भी है। उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत जिंदगी दुःखों से भरी रही लेकिन दृढ़ इच्छाशक्ति से वह मुकाम हासिल किया है, जो दूसरे नहीं कर पाए।

उन्होंने समाज की उस मानसिकता को दर्शाते हुए अपनी बात की शुरुआत की जो केवल स्त्राी व पुरुष की बात करता है और तृतीय प्रकृति के लिए कोई जगह नहीं है। कहा, हमे जेंडर पर आधारित सोच को बदलना पड़ेगा क्योंकि यहीं हमारी सामाजिक और सांस्कृतिक पहचान है। एक आदमी की जैविक पहचान उसके अंदर की भावनाओं पर निर्भर करती है। यदि किसी स्त्राी को पुरुष का शरीर प्राप्त हो गया लेकिन आत्मा औरत की है तो वह हमेशा औरत जैसा व्यवहार करने का प्रयास करेगी। लेकिन, यह समाज स्वीकार नहीं करेगा क्योंकि समाज ने जेंडर रूपी चश्मा धारण किया है, जिसे बदलने की जरूरत है।

उन्होंने वृहन्नला, मोहिनी, अरावन, अर्द्धनारीश्वर बहुचरा माता, शिखण्डी, मलिक काफूर व मुगल सल्तनत के समय के कई उदाहरण देकर उनकी सम्मानजनक स्थिति से अवगत कराया। ब्रिटिश साम्राज्य द्वारा पारित 1871 के एक्ट को उन्होंने मुख्य कारण बताया, जो इस समुदाय को हाशिए पर ले गया। उन्होंने एक सवाल उठाया जब एक मां-बाप से जन्म लेने वाला लड़का या लड़की परिवार में रह सकता है तो एक ट्रांसजेंडर क्यों नहीं? उन्होंने कहा कि हम दूसरे ग्रह से नहीं आये हैं और न ही हमारे लिए कोई अलग धरती है। हम संघर्ष करते रहे थे सम्मान के साथ जीने के लिए और अपने अधिकारों को लेकर रहेंगे। उन्हाेंने 15 अप्रैल 2014 को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए निर्णय को ऐतिहासिक बताया। साथ ही ट्रांसजेंडर को परेशान किये जाने पर दंड का प्रावधान का किए जाने पर जोर दिया। लाइव शो में भगवानदास मोरवाल, मीरा परीदा, डाॅ. रेनू, डाॅ. विजेन्द्र, डाॅ. रमाकान्त, प्रो. मेराज, अरुणा सभरवाल, डाॅ. शमीम, डाॅ. एकके पांडेय, डाॅ. शगुफ्ता, डाॅ. कामिल, डाॅ. आशिफ, डाॅ. विमलेश, डाॅ. लता, डाॅ. अफरोज, डाॅ. अंजना वर्मा, अकरम, मनीष, दिपांकर, कामिनी, इमरान, रासिद, साफिया, गिरिजा भारती, अनुराग, अनवर खान, केशव बाजपेयी, मिताली सिंह, सुनीता जैन, रोशनी आदि रहे।


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