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कैंसर मरीजों पर कीमोथेरेपी का बनेगा प्रोटोकॉल, कोशिकाओं पर किया जा रहा अध्ययन

देश के 25 संस्थानों से एकत्र किए जा रहे नमूने, कीमोथेरेपी के कैंसर सेल पर असर जानने के लिए कवायद, बेअसर दवा की होगी पहचान।

By Edited By: Published: Tue, 01 Jan 2019 01:21 AM (IST)Updated: Tue, 01 Jan 2019 12:09 PM (IST)
कैंसर मरीजों पर कीमोथेरेपी का बनेगा प्रोटोकॉल, कोशिकाओं पर किया जा रहा अध्ययन
कैंसर मरीजों पर कीमोथेरेपी का बनेगा प्रोटोकॉल, कोशिकाओं पर किया जा रहा अध्ययन
कानपुर, [जागरण स्पेशल]। देश में कैंसर पीड़ितों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। वर्तमान में कैंसर की दवाएं जांच और लक्षण के आधार पर चलाई जाती हैं। इसके कारगर इलाज के लिए कीमोथेरेपी (कैंसर की दवाओं) का प्रोटोकॉल बनाने की तैयारी है।
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज समेत देश के 25 संस्थानों से लिए गए कैंसर सेल (कोशिकाओं) पर विभिन्न कीमोथेरपी के असर का अध्ययन किया जा रहा है। कैंसर मरीजों का इलाज विशेषज्ञ अभी क्लीनिकल रिस्पांस, हिस्टोलॉजिकल जांच और रीसेप्टर स्टेटस के आधार पर करते हैं। इसी आधार पर कीमोथेरेपी दी जाती है। इसका कोई पुख्ता आधार नहीं होता है, जबकि हर मरीज में कैंसर और उसकी स्टेज अलग होती है। कई बार कीमोथेरेपी रिएक्शन कर जाती है और कई बार दवाएं बेवजह चलती हैं और मरीजों को लाभ नहीं होता।
महंगी दवाओं की वजह से मरीजों के परिजन आर्थिक बोझ तले दबते जाते हैं। अभी तक लिए गए 2500 नमूने कीमोथेरेपी का प्रोटोकॉल बनाने के लिए अहमदाबाद की मित्रा बायोटेक और प्रभांश क्लीनिकल सर्विसेज जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज समेत देश के प्रमुख 25 संस्थानों में शोध करा रही है। इसके तहत मरीजों के आपरेशन से निकलने वाली कैंसर सेल (कोशिका) के पांच हजार नमूने एकत्र किए जाने थे, जिन्हें अब बढ़ाकर दस हजार कर दिया है। अभी तक देशभर से 2500 नमूने लिए जा चुके हैं। इनमें से जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के सर्जरी विभाग से 400 नमूने लिए गए हैं।
विकसित करते हैं कैंसर कोशिकाएं
कैंसर सेल की बायोप्सी ली जाती है। टिश्यू कल्चर के माध्यम से उन कोशिकाओं को विकसित करते हैं। कई गुणा कैंसर कोशिकाएं बढ़ने के बाद उनपर विशेष प्रकार से अलग-अलग कैंसर की दवाएं चलाई जाती हैं। कीमोथेरेपी का देखेंगे प्रभाव कैंसर सेल पर कीमोथेरेपी का असर देखा जाता है। इसके माध्यम से यह पता करते हैं कि किस दवा से कैंसर सेल मरती (डेड) हैं। कौन दवा बेअसर है। इन कैंसर टिश्यू पर अध्ययन स्तन कैंसर (ब्रेस्ट), मुख कैंसर (ओरल), सिर और गले का कैंसर (हेड एंड नेक), पाचन तंत्र का कैंसर (जीआइ कैंसर) और साफ्ट टिश्यू कैंसर।
एक्सपर्ट कमेंट
-अभी कल्चर जाच से बैक्टीरियल इंफेक्शन का पता करते थे। अब टिश्यू कल्चर से कैंसर सेल विकसित की जाएगी। कीमोथेरेपी देकर कैंसर सेल पर उसका प्रभाव देखेंगे। उसकी पूरी विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जाएगी। उसके आधार पर ही कीमोथेरेपी का प्रोटोकॉल बनेगा। - डॉ. संजय काला, विभागाध्यक्ष, सर्जरी विभाग, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज।
यह हैं प्रमुख संस्थान : टाटा मेमोरियल हास्पिटल एवं रिसर्च सेंटर (मुंबई), मंगलौर कैंसर हास्पिटल (मंगलौर), रविंद्र नाथ टैगोर हास्पिटल (कोलकाता), एचसीजी (नासिक), एमएनजी हास्पिटल और केआइएमएस (हैदराबाद)।

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