अब नकल से नहीं कर सकेंगे पीएचडी
यूजीसी के नए दिशा-निर्देश उन शोधार्थियों की हसरतों पर पानी फेर सकते हैं जो नकल और जुगाड़ के बूत पीएचडी करने के ख्वाब पाले हैं। मार्च में आयोजित एक बैठक में 'प्रमोशन ऑफ एकेडमिक इंटीग्रेटी एंड इंवेंशन ऑफ प्लेगरिज्म इन हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूशंस' विषय पर चर्चा के बाद यूजीसी ने उच्च शिक्षा से जुड़े संस्थानों को नए दिशा-निर्देश भेज दिए हैं।
जागरण संवाददाता, कानपुर :
यूजीसी के नए दिशा-निर्देश उन शोधार्थियों की हसरतों पर पानी फेर सकते हैं जो नकल और जुगाड़ के बूत पीएचडी करने के ख्वाब पाले हैं। मार्च में आयोजित एक बैठक में 'प्रमोशन ऑफ एकेडमिक इंटीग्रेटी एंड इंवेंशन ऑफ प्लेगरिज्म इन हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूशंस' विषय पर चर्चा के बाद यूजीसी ने उच्च शिक्षा से जुड़े संस्थानों को नए दिशा-निर्देश भेज दिए हैं। साफ कहा गया है कि किसी शोधार्थी के शोध पत्र में अगर 10 से 40 फीसद तक नकल पाई जाती है तो उसे शोध पत्र छह माह के अंदर दोबारा प्रस्तुत करना होगा। अगर नकल 40 से 60 फीसद होती है तो छात्र को एक साल बाद दोबारा शोध पत्र प्रस्तुत करना होगा। अगर इससे ज्यादा नकल मिलती है तो छात्र का शोध पंजीकरण समाप्त कर दिया जाएगा।
इसी तरह शिक्षकों के लिखे शोध पत्रों में 10 से 40 फीसद नकल पर उनके शोध पत्र की पांडुलिपि वापस कर दी जाएगी। 40 से 60 फीसद नकल पर उन्हें किसी भी परास्नातक, एमफिल या पीएचडी निर्देशन कार्य से दो वर्षो के लिए और एक वर्ष की वेतन वृद्धि से वंचित होना पड़ेगा। 60 फीसद से अधिक नकल परं संबंधित शिक्षक के निलंबन या सेवा समाप्त करने की कार्रवाई होगी। इस संबंध में मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से भी सभी उच्च शिक्षण संस्थानों को इस संबंध में निर्देश भेजने की बात कही गई है।
प्लेगरिज्म डिस्पलनरी अथॉरिटी करेगी जांच : शोध पत्रों में नकल (साहित्यिक चोरी) की जांच के लिए सभी उच्च शिक्षण संस्थानों में प्लेगरिज्म डिस्पलनरी अथॉरिटी बनेगी। जो नकल हुई या नहीं, इसकी जांच करेगी। अथॉरिटी की रिपोर्ट अंतिम व पूर्णतय: मान्य होगी।
कूटा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष डा. बी डी पांडेय ने बताया कि यूजीसी के नए दिशा-निर्देशों से पीएचडी में नकल का खेल रुकेगा। यह बेहद सार्थक व जरूरी कदम है।