अगले दो साल तक नहीं बढ़ेंगी बीटेक-फार्मेसी की सीटें
सरकारी और निजी संस्थानों में इंजीनियरिग और फार्मेसी की सीटें अग
जागरण संवाददाता, कानपुर : सरकारी और निजी संस्थानों में इंजीनियरिग और फार्मेसी की सीटें अगले दो साल तक नहीं बढ़ेंगी। अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआइसीटीई) ने शिक्षा की गुणवत्ता, सीटें खाली रहने की समस्या को देखते हुए यह निर्णय लिया है। अगर कोई संस्थान सीटें बढ़ाता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। परिषद के पास कई कॉलेजों के आवेदन आए हैं। केवल कोर्ट के आदेश पर ही कॉलेजों को सीटे बढ़ाने अनुमति मिलेगी। इस आदेश के बाद कॉलेज प्रबंधकों में खलबली मच गयी है। वह चारों तरफ हाथ पैर मार रहे है लेकिन, उनकी योजना अब तक फलीभूत होती नजर नहीं आ रही है।
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फार्मेसी कॉलेजों की स्थिति
उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और बिहार में फार्मेसी के कुल 895 संस्थान हैं। यहां स्नातक, परास्नातक और डिप्लोमा के कोर्स संचालित हो रहे हैं।
उत्तर प्रदेश- 820
बिहार-15
उत्तराखंड-60
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इंजीनियरिग संस्थानों की संख्या
उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और बिहार के सरकारी और निजी तकनीकी संस्थानों की संख्या 829 है। इसमें स्नातक, परास्नातक और डिप्लोमा कोर्स शामिल हैं।
उत्तर प्रदेश-634
बिहार-70
उत्तराखंड-125
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क्यों पड़ी जरूरत
- तकनीकी और फार्मेसी के कई संस्थानों में शिक्षा की गुणवत्ता लगातार गिरती जा रही है।
- छात्रों और शिक्षकों का अनुपात सही नहीं है।
- बीटेक और फार्मेसी की सीटें खाली रह गई थी।
- एडमिशन फीस में मनमानी वसूली की शिकायतें आ रहीं थी।
- कुछ जगह पर नकल कराकर पास कराने की शिकायतें मिलीं।
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दो साल तक इंजीनियरिग और फार्मेसी की सीटें बढ़ाई नहीं जाएगी। अगर कहीं शिकायत मिलती है तो संस्थान के खिलाफ कार्रवाई होगी।
- मनोज तिवारी, क्षेत्रीय अधिकारी, एआइसीटीई