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मंडी में दुकानों पर आढ़तियों ने डाला ताला, बाहर हो रहा कारोबार

दूसरी ओर जून में मंडी के बाहर कारोबार करने वालों पर ढाई फीसद शुल्क न लगने का आदेश लागू होते ही तमाम आढ़तियों ने बाहर ही गोदाम लेकर काम शुरू कर दिया 20 लाख रुपये की दाल या कोई उत्पाद है तो उस पर 50 हजार रुपये शुल्क लग जाता

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Wed, 23 Sep 2020 12:06 AM (IST)Updated: Wed, 23 Sep 2020 12:06 AM (IST)
दुकानों पर तालाबंदी को दिखाती एक सांकेतिक तस्वीर

कानपुर, जेएनएन। मंडी में ढाई फीसद शुल्क के विरोध में अपनी दुकानें बंद किए हुए आढ़तिए मंडी के आसपास गोदाम लेकर कारोबार कर रहे हैं। कारोबारियों के मुताबिक बाहर गोदाम लेकर खरीद बिक्री करना उनकी मजबूरी है, क्योंकि बाकी जो लोग बाहर काम कर रहे हैं, वे ढाई फीसद नीचे दाम पर माल लेकर बेच रहे हैं। वहीं थोक बाजार में ढाई फीसद पर पूरा कारोबार हो जाता है।

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नौबस्ता गल्ला मंडी मंगलवार को भी बंद रही। मंडी के अंदर रहने वाले कुछ पल्लेदार ही नजर आए। आढ़तिए नहीं थे तो माल भी मंडी में नहीं आया। दूसरी ओर जून में मंडी के बाहर कारोबार करने वालों पर ढाई फीसद शुल्क न लगने का आदेश लागू होते ही तमाम आढ़तियों ने बाहर ही गोदाम लेकर काम शुरू कर दिया था। इसकी वजह से मंडी में माल की आवक बंद हो गई है। यह समय मंडी में मूंगफली, उड़द और तिल्ली की नई फसल के आने का होता है। मंडी गेट से अंदर तक मूंगफली के बड़े-बड़े ढेर लगे रहते थे, पर इस बार सन्नाटा है। कारोबारियों के मुताबिक अगर किसी ट्रक में 20 लाख रुपये की दाल या अन्य कोई उत्पाद है तो उस पर 50 हजार रुपये शुल्क लग जाता है। इससे उन्हें वह वस्तु 20.5 लाख की पड़ती है। वह इससे आगे ही लाभ लेकर माल बेचेंगे। वहीं, बाहर कारोबार कर रहे आढ़तिए उसी माल को 20 लाख में खरीदकर बेच रहे थे। इससे उनका माल भी नहीं बिक रहा। इसी वजह से ज्यादातर कारोबारियों ने बाहर गोदाम कर लिए।

इनका ये है कहना

ढाई फीसद में तो पूरा कारोबार हो जाता है। अभी कुछ लोग बाहर काम कर रहे हैं, अभी और जाने की तैयारी में हैं। ऐसे तो मंडी बंद हो जाएगी। यह ढाई फीसद शुल्क खत्म होना चाहिए। - मुकुंद मिश्रा, वरिष्ठ उपाध्यक्ष, उप्र उद्योग व्यापार मंडल  


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