सावधान ! रक्त गाढ़ा होने से युवाओं में ब्रेन स्ट्रोक के मामले बढ़े
आइएमए सीजीपी कानपुर सब फैकल्टी का 37वें वार्षिक रिफ्रेशर कोर्स का उद्घाटन नई दिल्ली के मैक्स इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोसाइंसेज के निदेशक ने दी जानकारी
कानपुर,जेएनएन। हीमोसिस्टीन की अधिकता से रक्त गाढ़ा होने से धमनियां सिकुड़ जाती हैं। रक्त संचार में अवरोध से युवा ब्रेन स्ट्रोक की चपेट में आ रहे हैं। यह बातें रविवार को जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के सभागार में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के कॉलेज ऑफ जनरल प्रैक्टिसनर्स (आइएमए सीजीपी) कानपुर सब फैकल्टी के 37वें वार्षिक रिफ्रेशर कोर्स के मुख्य वक्ता मैक्स इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोसाइंसेज, नई दिल्ली के निदेशक डॉ.पुनीत अग्रवाल ने कहीं।
उन्होंने कहाकि एशियाई देशों भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका में ब्रेन स्ट्रोक के मामले बढ़ने की वजह रक्त में हीमोसिस्टीन हारमोन बढ़ना है। रिसर्च में सामने आया है कि शरीर में बी-19 और बी-12 विटामिन की कमी से हीमोसिस्टीन हारमोन बढ़ता है। इसकी वजह शारीरिक श्रम में कमी, फास्टफूड, धूमपान और नशे की लत है। इससे शरीर में पोषक तत्वों की कमी होने से डायबिटीज, कोलेस्ट्राल, मोटापा, उच्च रक्तचाप की चपेट में आ जाते हैं, जो ब्रेन स्ट्रोक के लिए जिम्मेदार हैं।
अस्पताल पहुंचने वाले ब्रेन स्ट्रोक के मरीजों में 15 फीसद युवा हैं, जिनकी उम्र 45 से कम है। प्रदूषण से रक्त गाढ़ा होता है, इस पर अध्ययन की जरूरत है। प्रोग्राम डायरेक्टर डॉ. चंदू निहलानी, चेयरपर्सन डॉ. हरीश अजमानी, डॉ. बीपीएस राठौर थे। इससे पहले उद्घाटन आइएमए यूपी के अध्यक्ष डॉ. एएम खान, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज की प्राचार्य प्रो. आरती लालचंदानी, किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के प्रो. सूर्यकांत व एसीएमओ डॉ. एके सिंह ने किया। स्मारिका का भी विमोचन किया गया। संचालन डॉ. शालिनी मोहन तथा डॉ. विकास मिश्रा ने किया।
सात फीसद को ही समय से इलाज
देश में हर साल ब्रेन स्ट्रोक के 4 लाख नए मरीज सामने आते हैं। इसमें से सात फीसद ही गोल्डन ऑवर्स (छह घंटे के अंदर) में अस्पताल पहुंच पाते हैं। गोल्डन ऑवर्स में अस्पताल पहुंचने पर क्लॉट ब्लास्टिंग इंजेक्शन लगाने से थक्का खत्म हो जाता है। 70 फीसद मरीज एक से तीन माह में पूरी तरह ठीक हो जाते हैं।
ब्रेन स्ट्रोक के लक्षण
- अचानक मुंह या एक तरफ के अंग में टेढ़ापन।
- आवाज में लड़खड़ाहट।
- हाथ-पैर में कमजोरी है।
सांस फूलना फेफड़े व दिल की बीमारी का संकेत
केजीएमयू के रेस्पेरेटरी मेडिसिन विभागाध्यक्ष प्रो. सूर्यकांत ने कहाकि सांस फूलने की कई वजह हैं। फेफड़े और दिल की बीमारी में भी सांस फूलती है। कई बार फेफड़े की नलियों में खून का थक्का जमने से सांस फूलने लगती है। अस्थमा और सांस की नलियों में रुकावट से भी समस्या होती है। इसमें लापरवाही घातक है इसलिए समय पर जांच कराकर बीमारी का पता लगाएं। विशेषज्ञ को दिखाएं। इसके प्रोग्राम डायरेक्टर डॉ. एके सिंह, चेयरपर्सन जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्राचार्य प्रो. एसके कटियार व प्रो. सुधीर चौधरी व डॉ. एके मित्तल थे।