Income Tax Raid : बालीवुड के मशहूर अभिनेता सोनू सूद से रिच ग्रुप का कनेक्शन, चार ठिकानों पर चल रही कार्रवाई
कानपुर की रिच समूह कंपनी के चार ठिकानों पर छापे की कार्रवाई में विभाग की टीम को बालीवुड के मशहूर अभिनेता से कनेक्शन मिले हैं। सीबीडीटी ने प्रेस बयान जारी करके अभिनेता की आर्थिक जांच किए जाने की जानकारी दी है।
कानपुर, जेएनएन। कानपुर में रिच समूह का कनेक्शन बालीवुड के मशहूर अभिनेता सोनू सूद से सामने आया है। सोनू सूद पर फर्जी लोन लेकर निवेश करने का मामला सामने आया है। रिच समूह के ठिकानों पर आयकर विभाग का छापा अभी रुका नहीं है और सोनू सूद की आर्थिक जांच भी जारी है। छापे में विभाग को बोगस इनवाइस जारी करने और उन्हें बेचने के सुराग मिले हैं और कंपनी द्वारा अपने ही चतुर्थ श्रेणी कर्मी को निदेशक बनाए जाने का भी राजफाश हुआ है।
जीएसटी विभाग से मिली जानकारी के बाद आयकर विभाग ने रिच ग्रुप आफ कंपनी पर छापे की कार्रवाई शुरू की है। इस कंपनी में तीन भाई शाश्वत अग्रवाल, तत्वेश अग्रवाल, आशेष अग्रवाल हैं। छापे में इनकम टैक्स टीम को पता चला कि इससे 15 और कंपनियां भी जुड़ी हैं, जो फर्जी हैं और एक दूसरे को इनवाइस जारी करती हैं। इनमें कुछ कंपनियां तो जीएसटी में पंजीकृत हुईं थीं और कुछ कंपनियां वैट के समय से काम कर रही हैं। ये कंपनियां कमोडिटी के लिए इनवाइस जारी करती हैं। इनकम टैक्स अधिकारियों ने कंपनी के सभी कंप्यूटर सिस्टम और उसका डाटा कब्जे में लेकर जांच शुरू की है। साथ ही इनवाइस की हार्ड कापी भी निकाली गई। इस दौरान जांच में बालीवुड के मशहूर फिल्म अभिनेता सोनू सूद का कनेक्शन भी सामने आया।
सोनू सूद की आर्थिक जांच में जुटा विभाग
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने प्रेस बयान जारी करके जानकारी दी है कि मुंबई के फिल्म अभिनेता की आर्थिक जांच के लिए मुंबई, लखनऊ, कानपुर, जयपुर, दिल्ली और गुरुग्राम में भी छापे मारे गए। सोनू सूद ने फर्जी कर्ज से निवेश और संपत्तियों को खरीदा जाना दिखाया है। इसमें कंपनी ने फर्जी एंट्री दिखाकर नकद के जरिये चेक दिया गया है। अभिनेता ने एक संगठन के माध्यम से करोड़ों का विदेशी चंदा भी जुटाया। इसमें विदेशी अंशदान विनिमय कानून के उल्लंघन का भी मामला बताया है।
रिच समूह पर छापे की कार्रवाई जारी
वहीं रिच समूह पर आयकर विभाग की छापे की कार्रवाई अभी जारी है, जिसमें समूह के चार ठिकाने हैं। आयकर अधिकारियों की जांच में निकला है कि इनमें से किसी कंपनी में कोई काम नहीं होता, सिर्फ फर्जी इनवाइस जारी की जाती हैं। इन कंपनियों ने अपने चपरासी व अन्य चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को ही निदेशक बना रखा है ताकि सभी कंपनियां अलग-अलग नजर आएं। हालांकि इन कंपनियों की इनवाइस को पूरी तरह संचालित इनके मालिक ही करते हैं। एक कंपनी से दूसरी कंपनी को माल की बिक्री दिखाने को फर्जी इनवाइस जारी की जाती रहती हैं और अंत में फर्जी आइटीसी क्लेम कर ली जाती है।