बैराज पर स्कूटी खड़ी कर गंगा में कूद गई थी मेडिकल छात्रा, दूसरे दिन शुक्लागंज में मिला शव Kanpur News
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस फाइनल ईयर में पढ़ रही थी।
कानपुर, जेएनएन। गंगा बैराज पुल पर स्कूटी खड़ी कर नदी में छलांग लगाने वाली जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज की छात्रा अमृता सिंह का शव 26 घंटे बाद उन्नाव के शुक्लागंज में बहादुर बगिया के पास नदी किनारे मिला। सूचना मिलने पर घर वाले शुक्लागंज पहुंचे और शव देखकर फफक पड़े। इससे पूर्व कॉलेज के छात्र-छात्राओं ने रेस्क्यू ऑपरेशन में हीलाहवाली बरतने का आरोप लगाकर बैराज पुल पर हंगामा किया तो पुलिस ने उन्हें शांत कराया।
एमबीबीएस फाइनल ईयर की छात्रा थी
झांसी के केकेपुरी कॉलोनी निवासी रामस्नेही वर्मा इटावा के ग्रामीण अभियंत्रण विभाग में जूनियर इंजीनियर हैं। उनकी 24 वर्षीय छोटी बेटी अमृता सिंह मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस फाइनल ईयर की छात्रा थी। उसकी परीक्षाएं 11 फरवरी से शुरू होनी थीं, जिसको लेकर वह तनाव में थी। गुरुवार को वह रूममेट अनुशी से बाजार जाने की बात कहकर स्कूटी लेकर निकली थी। दोपहर बाद तक जब नहीं लौटी तो अनुशी ने तलाश शुरू की। तलाशते हुए वह गंगा बैराज पहुंची तो वहां पुलिस को लावारिस हालत में अमृता की स्कूटी ले जाते देखा। उसके नदी में कूदने की आशंका जताने पर कोहना पुलिस ने गोताखोरों की मदद से तलाश कराई, लेकिन कामयाबी नहीं मिली।
मेडिकल छात्र-छात्राओं ने दिया धरना
रात में इटावा से आए अमृता के घर वालों ने स्वरूपनगर थाने में गुमशुदगी दर्ज कराई। शुक्रवार सुबह पुलिस ने फिर नदी में जाल डलवाकर अमृता की तलाश शुरू की। उसकी एक चप्पल पानी में उतराती देखकर घर वाले फफक पड़े। सूचना पर मेडिकल छात्र-छात्राएं वहां पहुंचे और पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगा धरने पर बैठ गए। इससे बैराज पुल पर एक लेन का यातायात बाधित हो गया। पुलिस ने छात्रों को शांत कराया।
शुक्लागंज में मिला शव
शनिवार की शाम करीब पांच बजे शुक्लागंज पुलिस ने छात्रा का शव मिलने की सूचना दी। कोहना के कार्यवाहक थाना प्रभारी अरुण कुमार ने बताया कि बहाव तेज होने से छात्रा का शव शुक्लागंज की ओर बह गया था। उन्नाव में पोस्टमार्टम कराया जाएगा। सुसाइड नोट में तीन बार पहले भी खुदकशी की कोशिश का जिक्र प्राचार्य प्रो. आरती लालचंदानी ने बताया कि छात्रा के कमरे से चार पेज का सुसाइड नोट मिला है, जिसमें उसने तीन बार पहले भी आत्महत्या का प्रयास करने का जिक्र किया है।
मेडिकल छात्रा अमृता का मौत से पहले लिखा आखिरी खत बयां कर रहा अवसाद और गम की कहानी