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'गुरु पद रज से ही निर्मल होगा मन'

जगत वंदनीय है निंदनीय नहीं, अगर हम किसी का वंदन नहीं कर सकते तो इसका मतलब हमारा मन निर्मल नहीं है। इसे गुरु पद रज से ही निर्मल किया जा सकता है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 29 Jul 2018 01:27 AM (IST)Updated: Sun, 29 Jul 2018 01:27 AM (IST)
'गुरु पद रज से ही निर्मल होगा मन'

जागरण संवाददाता, कानपुर :

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जगत वंदनीय है निंदनीय नहीं, अगर हम किसी का वंदन नहीं कर सकते तो इसका मतलब हमारा मन निर्मल नहीं है। इसे गुरु पद रज से ही निर्मल किया जा सकता है। रामचरित मानस की रचना से पूर्व गोस्वामी तुलसीदास जी ने भी देवताओं के साथ-साथ असुरों की वंदना की थी। मानस मर्मज्ञ संत मोरारी बापू जी ने यह बात शनिवार को सीएसए के स्पो‌र्ट्स ग्राउंड में शुरू हुई रामकथा में कही।

उन्होंने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास ने पंचदेवों के साथ-साथ सभी का वंदन किया था। पंचदेवों में भगवान गणेश विवेक, शिव कल्याण, दुर्गा श्रद्धा, विष्णु विशालता और सूर्यदेव प्रकाश के रूप में शामिल हैं। रामकथा की विषयवस्तु पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि गुरु पूर्णिमा के दिन ही मैंने विचार किया था कि इस बार रामकथा का विषय मानस गुरु पूर्णिमा होगी। रामचरित मानस में कई गुरुओं का उल्लेख है, लेकिन गोस्वामी जी ने चार जगह सद्गुरु का प्रयोग किया है। उपनिषद में सिर्फ गुरु शब्द मिलता है। मेरी समझ से सद्गुरु वही है जिसमें सभी धर्मो का समावेश हो।

इससे पूर्व उन्होंने श्रद्धालुओं का स्वागत करते हुए कहा कि भले ही कानपुर फिर से आने में उन्हें 21 साल लग गए, लेकिन यहां मानस का प्रचार लगातार होता रहा। कथा की शुरुआत में मानस प्रेम यज्ञ परिवार के डॉ. अवध दुबे ने मोरारी बापू जी का स्वागत किया। महेंद्र मोहन गुप्त, विधायक नीलिमा कटियार और मानस प्रेम यज्ञ परिवार ने मोरारी बापू का आशीर्वाद लिया। इस दौरान एसपी पश्चिम संजीव सुमन, कृष्ण कुमार अग्रवाल, एसके अग्रवाल, अरुण कौल, अमरनाथ मेहरोत्रा, कमल किशोर अग्रवाल, संजय गोयल, आलोक अग्रवाल, राकेश कुमार गर्ग आदि उपस्थित थे। अंत में हनुमत वंदना से कथा का समापन हुआ।

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आध्यात्मिक वर्ष की पहली कथा है यह

मोरारी बापू ने कहा कि अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग दिन नया साल मनाया जाता है। तलगारडी पंचांग के अनुसार अध्यात्म जगत का नूतन वर्ष श्रावण से शुरू होता है। इस वर्ष की यह पहली कथा है और हम यहां सात्विक, तात्विक व आध्यात्मिक संवाद के लिए आए हैं।

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विश्व को युद्ध नहीं, बुद्ध वाले हनुमान चाहिए

बापू ने कहा, आज विश्व को युद्ध नहीं बल्कि बुद्ध वाले हनुमान चाहिए जो गदा न घुमाएं बल्कि वीणा बजाएं। लोगों को भी सौम्य रूप की ही उपासना करनी चाहिए जिसमें बुद्ध लबालब हों। जिस रूप की उपासना करेंगे, उसके लक्षण आ ही जाते हैं।

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सबको हनुमान जी की साधना का अधिकार

उन्होंने कहा कि सभी को हनुमान जी की साधना का अधिकार है। अगर कोई रोकता भी है तो उससे झगड़ा न करो बल्कि प्रेम शुरू कर दो। किसी शायर ने भी कहा कि 'मोहब्बत हमारे नसीब में नही है, इबादत से गुजारा कर लो..'। इसलिए पूजन के लिए जिद न करो, प्रेम करो।


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