घाटमपुर विधानसभा क्षेत्र में पहली बार होंगे उपचुनाव, सियासी सरगर्मियां हुईं तेज
प्राविधिक शिक्षा मंत्री कमल रानी के निधन के बाद खाली हुई थी सीट पर चुनाव आयोग द्वारा उपचुनाव कराने की घोषणा कर दी गई है।
कानपुर, [महेश शर्मा]। घाटमपुर विधानसभा क्षेत्र में आजादी के बाद पहली बार उपचुनाव की स्थिति आई है। प्राविधिक शिक्षा मंत्री कमलरानी वरुण की कोरोना से असामयिक मौत के चलते पहली बार यहां उपचुनाव होंगे। चुनाव आयोग द्वारा बिहार विस चुनाव के साथ देश की रिक्त सीटों पर उपचुनाव की घोषणा करने के साथ क्षेत्र में सियासी सरगर्मी बढ़ गई है।
1996 में 11वीं एवं 1998 में 12वीं लोकसभा के लिए घाटमपुर (सुरक्षित) सीट से भाजपा की सांसद बनीं कमलरानी वरुण वर्ष 2017 में 17वीं विधानसभा के लिए घाटमपुर (सुरक्षित) सीट से विधायक निर्वाचित हुईं थीं। लंबे राजनीतिक अनुभव व पार्टी के प्रति सतत निष्ठा के चलते वर्ष 2019 में हुए फेरबदल में उन्हें योगी आदित्यनाथ के मंत्रिमंडल में प्राविधिक शिक्षा विभाग का कैबिनेट मंत्री बनाया गया था लेकिन कोरोना संक्रमण की शिकार हुईं कमलरानी का दो अगस्त को असामयिक निधन हो गया। इसके चलते यह पहला मौका है, जब इस सीट पर उपचुनाव की नौबत आई है।
यहां हुए उपचुनाव
हमीरपुर : भाजपा विधायक अशोक चंदेल को हत्या के मामले में हुई उम्रकैद की सजा के चलते पिछले वर्ष वहां उपचुनाव हुए थे।
सिकंदरा : कानपुर देहात की इस सीट पर वर्ष 2017 में भाजपा के टिकट पर विधायक चुने गए मथुरा प्रसाद पाल के निधन के बाद वर्ष 2018 में उप चुनाव में उनके बेटे अजीत पाल चुनाव जीत कर विधायक एवं योगी मंत्रिमंडल में राज्यमंत्री बने हैं।
सरवनखेड़ा : कानपुर देहात की इस सीट से 1993 में सपा के टिकट से विधायक बने जसवंत यादव की करंट की चपेट में आकर मौत हो गई थी। उपचुनाव में उनकी पत्नी मनोरमा सपा की टिकट से विधायक चुनी गईं थीं।
आर्यनगर : वर्ष 2002 में सपा के टिकट से विधायक चुने गए हाजी मुश्ताक सोलंकी की असामयिक निधन के चलते उप चुनाव हुए थे और उनके बेटे इरफान सोलंकी विधायक चुने गए थे।