साल बीते, जांच अधिकारी भी बदले, नहीं आई बिसरा रिपोर्ट, Kanpur के कई बड़े मामलों में अटकी कार्रवाई
कानपुर में कई साल बीतने और जांच अधिकारी के बदलने के बाद भी बिसरा रिपोर्ट नहीं आई है। इससे शहर के कई महत्वपूर्ण बड़े मामलों में कार्रवाई नहीं बढ़ पा रही है। इसमें 69 गंभीर मामलों से संबंधित हैं।
कानपुर, जागरण संवाददाता। जहरीला पदार्थ खाकर आत्महत्या, संदिग्ध परिस्थितियों में मौत, फांसी लगाकर आत्महत्या जैसे मामलों में बिसरा रिपोर्ट महत्वपूर्ण होती है। बिसरा जांच में मौत की वजह स्पष्ट हो जाती है। इसी रिपोर्ट के आधार पर जांच आगे बढ़ती है लेकिन शहर में इसको लेकर घोर उदासीनता की स्थिति है।
साल बीत जाते हैं और जांच अधिकारी बदल जाते हैं लेकिन बिसरा रिपोर्ट नहीं मिल पाती। कई बार रिमाइंडर भेजने के बाद भी आगरा की प्रयोगशाला से रिपोर्ट नहीं मिल रही। मौजूदा स्थिति यह है कि मार्च 2022 से अगस्त 2022 तक छह माह में 94 बिसरा के नमूने जांच को भेजे गए। इसमें 69 गंभीर मामलों से संबंधित हैं।
इस छह माह की अवधि में सिर्फ तीन बिसरा की रिपोर्ट ही आई है। इसके चलते कई चर्चित और महत्वपूर्ण मामलों में जांच आगे नहीं बढ़ पा रही है।
ये हैं लंबित और महत्वपूर्ण मामले
केस-1
इंजीनियर आरजू मौत बनी पहेली
नौबस्ता में दिसंबर 2020 को इंजीनियर आरजू की शादी के 17 दिन बाद ही बाथरूम में संदिग्ध हालत में मौत हो गई थी। स्वजन ने हत्या का आरोप लगाया था। पोस्टमार्टम में मौत का कारण पता नहीं चला। बिसरा जांच के लिए भेजा, लेकिन रिपोर्ट आज तक नहीं आई।
केस-2
नर्स की मौत का राज भी दफन
स्वरूप नगर में अगस्त 2021 में कानपुर देहात पुखरायां गांधी नगर निवासी एक नर्सिंगहोम में काम करने वाली नर्स का हास्टल के कमरे में फंदे से शव लटकता मिला था। स्वजन ने हत्या का आरोप लगाया। बिसरा जांच के लिए गया, लेकिन रिपोर्ट आज तक नहीं आयी।
केस-3
आंचल की मौत से भी नहीं उठा पर्दा
नजीराबाद के अशोक नगर में नवंबर 2021 में रसोई मसाला कारोबारी सूर्यांश खरबंदा की पत्नी आंचल का शव फंदे से लटका मिला था। स्वजन ने हत्या का आरोप लगाया था। हैंड राइटिंग और बिसरा जांच के लिए नमूने भेजे थे। हैंड राइटिंग की रिपोर्ट आ गई, लेकिन बिसरा रिपोर्ट का अब तक इंतजार है।
क्या कहते हैं आंकड़े
जांच को भेजे नमूने 94
गंभीर मामले 69
रिमाइंडर भेजे 69
रिपोर्ट आई 03
नमूने खराब हुए 31
क्या होता है बिसरा
पोस्टमार्टम में मौत की वजह स्पष्ट न होने पर डाक्टर शरीर के आंतरिक अंगों को सुरक्षित करके जांच के लिए प्रयोगशाला भेजते हैं। इसमें फेफड़ा, किडनी, आंत आदि को एक निश्चित मात्रा में सुरक्षित रखा जाता है। विसरा की जांच विशेषज्ञ करते हैं। जांच में मौत का वक्त, शरीर के अंदरूनी अंगों का रंग, नसों की सिकुड़न, पेट में मिलने वाले खाने के अवशेष आदि बहुत अहम होते हैं। इसकी जांच में मौत का कारण स्पष्ट हो जाता है।
पूरे प्रदेश से बिसरा जांच के लिए प्रयोगशाला भेजे जाते हैं। वहां किसी तरह से नजरंदाज करने वाला रवैया नहीं होता है। वहां का नियम है जो पहले आता है उसकी जांच पहले होती है। फिर भी जो गंभीर मामले होते हैं उनके लिए रिपोर्ट भेजी जाती है। गंभीर मामलों का चयन कर जल्द रिपोर्ट मंगाई जाएगी।- बीपी जोगदण्ड, पुलिस आयुक्त