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Bikru Case: आइजी की बैठक में लिया गया फैसला, नगर में लाए जाएंगे देहात के न्यायिक क्षेत्र वाले सात थाने

चौबेपुर शिवराजपुर ककवन बिल्हौर घाटमपुर साढ़ और सजेती का प्रशासनिक क्षेत्रधिकारी कानपुर नगर में है जबकि न्यायिक क्षेत्रधिकार कानपुर देहात की माती कोर्ट से जुड़ा है। आइजी मोहित अग्रवाल ने बताया कि मंगलवार की बैठक में सबसे पहले इसी पर निर्णय लिया गया।

By ShaswatgEdited By: Published: Wed, 25 Nov 2020 01:58 PM (IST)Updated: Wed, 25 Nov 2020 01:58 PM (IST)
Bikru Case: आइजी की बैठक में लिया गया फैसला, नगर में लाए जाएंगे देहात के न्यायिक क्षेत्र वाले सात थाने
थानाक्षेत्रों का न्यायिक क्षेत्र वापस कानपुर लाने के लिए प्रस्ताव शासन को भेजने का निर्णय लिया गया।

कानपुर, जेएनएन। कानपुर देहात की माती कोर्ट के न्यायिक क्षेत्र वाले सात थाना क्षेत्रों को वापस कानपुर नगर में लाने की कवायद शुरू की गई है। बिकरू कांड को लेकर गठित स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआइटी) ने शासन को जो संस्तुतियां सौंपी हैं, उसमें यह मुद्दा भी प्रमुखता से उठाया गया है। मंगलवार को आइजी ने एसआइटी रिपोर्ट के कार्यान्वयन को लेकर बैठक की। इस थानाक्षेत्रों का न्यायिक क्षेत्र वापस कानपुर लाने के लिए प्रस्ताव शासन को भेजने का निर्णय लिया गया।

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बिकरू कांड को लेकर गठित एसआइटी के सामने जब विकास दुबे से संबंधित मुकदमों की पैरवी का मामला आया था तो अधिकारियों ने कहा कि चौबेपुर, शिवराजपुर, ककवन, बिल्हौर, घाटमपुर, साढ़ और सजेती का प्रशासनिक क्षेत्रधिकारी कानपुर नगर में है, जबकि न्यायिक क्षेत्रधिकार कानपुर देहात की माती कोर्ट से जुड़ा है। ऐसे में पैरवी के लिए आने-जाने में समस्याएं आती हैं। अफसरों की इस दलील को ध्यान में रखते हुए एसआइटी ने माती कोर्ट के न्यायिक क्षेत्रधिकार वाले सातों थानों को कानपुर नगर से जोड़ने के लिए प्रक्रिया शुरू करने को कहा था। आइजी मोहित अग्रवाल ने बताया कि मंगलवार की बैठक में सबसे पहले इसी पर निर्णय लिया गया। डीआइजी डॉ. प्रीतिंदर सिंह, एसपी ग्रामीण बृजेश कुमार श्रीवास्तव मौजूद रहे।

दबिश के लिए बनेगा प्रोटोकॉल

आइजी ने बताया कि डीआइजी कानपुर से कहा गया है कि वह पुलिस फोर्स को समय-समय पर फायरिंग प्रशिक्षण दिलाएं। दबिश के लिए एक मानक प्रोटोकॉल तय करें ताकि दोबारा बिकरू जैसी घटना न हो।

जल्द होगा सजा का निर्धारण

जिन 37 पुलिस कर्मियों के खिलाफ एसआइटी ने रिपोर्ट दी है, उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई के लिए एक महीने का समय तय किया गया है। इस समय सीमा में ही सुनवाई करते हुए सभी के खिलाफ दंड का निर्धारण कर दिया जाएगा।


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