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कैमरे के सामने अपराध का राज खोलेगा चेहरा, लाई डिटेक्टर-नार्को टेस्ट के बाद अब फेस डिटेक्टर टेस्ट

आइआइटी कानपुर के विशेषज्ञों ने दुनिया में पहली बार शर्म पश्चाताप और प्रायश्चित पर शोध किया है जिसे अंतरराष्ट्रीय जर्नल में प्रकाशित किया गया है।नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के जर्नल को लाई डिटेक्टर नार्को टेस्ट की तरह इस्तेमाल के लिए मॉड्यूल भेजने की तैयारी की जा रही है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Sat, 05 Dec 2020 10:59 AM (IST)Updated: Sat, 05 Dec 2020 10:59 AM (IST)
कैमरे के सामने अपराध का राज खोलेगा चेहरा, लाई डिटेक्टर-नार्को टेस्ट के बाद अब फेस डिटेक्टर टेस्ट
आइआइटी कानपुर में विशेषज्ञों ने शोध किया है।

कानपुर, [शशांक शेखर भारद्वाज]। मनुष्य अगर किसी अपराध या घटना में शामिल है और उसने बचने के लिए सारे सबूत तक मिटा दिए हैं तो भी उसके काले कारनामे को पकड़ना आसान हो सकेगा। अब उसके राज से पर्दा उठाने का काम चेहरे के हावभाव करेंगे। लाई डिटेक्टर-नार्को टेस्ट के बाद बहुत जल्द फेस डिटेक्टर टेस्ट भी आने वाला है। आइआइटी के विशेषज्ञों ने चेहरे के हावभाव पर शोध किया है, जो अंतरराष्ट्रीय जर्नर में प्रकाशित हुआ है।

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आइआइटी विशेषज्ञों ने किया शोध

आइआइटी कानपुर के विशेषज्ञों ने दुनिया में पहली बार शर्म, पश्चाताप, प्रायश्चित पर काम किया है। यह अंतरराष्ट्रीय जर्नल में पांच नवंबर को प्रकाशित हुआ है। इसमें विशेषज्ञों ने सिद्ध किया है कि कोई शातिर भले ही कोई अपने अपराध को छुपा जाए, लेकिन उसके चेहरे का बढ़ा हुआ तापमान गुनाह में शामिल होने के संकेत दे देगा। उन्होंने तकनीक का इस्तेमाल लाई डिटेक्टर और नार्को टेस्ट की तरह ही दूध का दूध और पानी का पानी करने में इस्तेमाल के लिए नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के जर्नल को मॉड्यूल का पूरा प्रस्ताव भेजा जाएगा। यह माॅड्यूल इंटरव्यू, भर्ती प्रक्रिया और अन्य जगह उपयोग में लाया जा सकता है।

दो चरणाें में हुआ शोध

आइआइटी के ह्यूमैनिटी एंड सोशल साइंसेज के विभागाध्यक्ष प्रो. ब्रज भूषण, मैकेनिकल इंजीनियरिंग के प्रो. पीके पाणिग्रही, शोधार्थी शबनम बासु और सौरभ दत्ता की टीम ने दो चरणों में शोध किया। पहले चरण में 30 छात्रों से जिंदगी की ऐसी घटनाएं लिखने के लिए कहा, जिसमें उन्हें शर्म, पश्चाताप और प्रायश्चित हुआ है। छात्रों ने अपनी कहानी दे दी, जिसमें से कुछ की परिस्थितियों को चित्रण रूप में तैयार किया गया। अब 150 नए छात्रों को वही चित्रण कंप्यूटर स्क्रीन पर दिखाए गए।

छात्रों से राय ली गई कि उन्हें क्या महसूस हुआ। इसपर उन्होंने शर्म, पश्चाताप और प्रायश्चित होने की जानकारी दी। पहले हिस्से को जर्नल में छापा गया। दूसरे हिस्से में जैविक विश्लेषण हुआ, अबकी बार नए 31 छात्र लिए। उन्हें वही चित्रण दिखाए गए, हाई रेजोल्यूशन के थर्मल कैमरे लगाए गए। छात्रों के मत्थे, दोनों गाल, नाक का ऊपरी हिस्सा, आंख के दोनों किनारों को देखा गया।

अपराध बोध में गाल का दायां हिस्सा होता गर्म

प्रो. ब्रज भूषण के मुताबिक थर्मल कैमरे में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। तीनों में किसी तरह के भाव आने पर चेहरे का तापमान गर्म हो गया। यह अधिकतम 0.5 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचा। इस तापमान को ठंडा होने में अमूमन 15 सेकेंड का समय लग गया। इनकी स्टडी में रोचक परिणाम सामने आए। प्रायश्चित के मुकाबले अपराध बोध के मामले में गाल का दायां हिस्सा, होंठ के आसपास और मत्था अधिक गर्म हो गया। इसी तरह शर्म के मामले में गाल का बायां हिस्सा अधिक गर्म हो जाता है। प्रायश्चित में बायां हिस्सा ज्यादा गर्म नहीं होता है। शर्म में नाक का ऊपरी हिस्सा हल्का गर्म हो जाता है।

केस का जल्दी होगा निपटारा

प्रो. ब्रज भूषण के मुताबिक शोध को फ्रंटियर इन साइकोलॉजी में प्रकाशित किया गया। इससे किसी भी तरह के केस का निटपारा आसान होगा। मॉड्यूल को नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी ऑफ लॉ के जर्नल को प्रेषित किया जाएगा।


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