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पुलिस की शह से चल रही थी शराब फैक्ट्री, एसओ से छीनी गई कुर्सी, चौकी प्रभारी निलंबित Kanpur News

बिधून के दहली उजागर गांव में स्कूल संचालक के घर पकड़ी गई थी अवैध शराब फैक्ट्री।

By AbhishekEdited By: Published: Fri, 28 Feb 2020 12:47 PM (IST)Updated: Fri, 28 Feb 2020 05:43 PM (IST)
पुलिस की शह से चल रही थी शराब फैक्ट्री, एसओ से छीनी गई कुर्सी, चौकी प्रभारी निलंबित Kanpur News
पुलिस की शह से चल रही थी शराब फैक्ट्री, एसओ से छीनी गई कुर्सी, चौकी प्रभारी निलंबित Kanpur News

कानपुर, जेएनएन। बिधनू के गांव दहली उजागर में पकड़ी गई अवैध शराब फैक्ट्री के मामले में एसएसपी ने बिधनू थाने के थाना प्रभारी से चार्ज छीनकर ग्वालटोली के थाने में एसएसआइ बना दिया है। वहीं चौकी प्रभारी खड़ेसर पर निलंबन की कार्रवाई हुई है। थाने के कुछ सिपाही भी जांच के दायरे में हैं। उधर, आबकारी विभाग ने पूर्व ब्लॉक प्रमुख प्रदीप वर्मा की दुकान का लाइसेंस निलंबित कर दिया है।

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शुरुआती जांच में मिले पुलिस की मिलीभगत के साक्ष्य

बुधवार को एसएसपी के निर्देश पर बिधनू पुलिस ने दहली उजागर गांव निवासी स्कूल संचालक जहान सिंह के घर छापा मारकर केमिकल से नकली शराब बनाने की फैक्ट्री पकड़ी थी। यहां से भारी मात्रा में नकली शराब, केमिकल, क्यूआर कोड स्टिकर बरामद किए गए थे। स्कूल संचालक जहान सिंह, पतारा का पूर्व ब्लॉक प्रमुख सपा नेता कंठीपुर निवासी प्रदीप वर्मा, स्कूल संचालक का चचेरा भाई मान सिंह, केमिकल सप्लायर का एजेंट कैंधा निवासी मोहित और स्कूल वैन चलाने वाला बृजपाल, ये सब मौके से गिरफ्तार हुए थे।

मुख्य केमिकल सप्लायर की तलाश में दबिश दे रही पुलिस

एसएसपी अनंतदेव ने बताया कि शुरुआती जांच में पुलिस की लापरवाही और संलिप्तता सामने आई है। चौकी प्रभारी को अवैध शराब फैक्ट्री के चलने की जानकारी थी, फिर भी उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की। इसलिए खड़ेसर चौकी प्रभारी एसएन शुक्ला को निलंबित कर दिया है और बिधनू के थाना प्रभारी देवेंद्र सिंह सोलंकी से थाने का चार्ज वापस लेकर उन्हें ग्वालटोली थाने का एसएसआइ बना दिया गया है। कई अन्य पुलिसकर्मी भी जांच के दायरे में हैं। केमिकल सप्लायर कानपुर देहात के कैलई गांव निवासी अंकित सचान की तलाश में दबिश दी जा रही है।

कैसे लीक हुआ क्यूआर कोड, होगी जांच

अवैध शराब फैक्ट्री से पुलिस को बड़ी मात्रा में क्यूआर कोड के स्टिकर मिले थे। नकली होने के बावजूद आबकारी विभाग के एप में स्कैन होने के बाद क्यूआर कोड की सुरक्षा प्रणाली पर सवाल खड़े हो गए हैं। पुलिस तो जांच कर ही रही है कि स्टिकर कहां तैयार किए गए, वहीं उठते सवालों को देखकर आबकारी विभाग ने जांच शुरू कर दी है कि शराब माफिया के पास स्टिकर और उसकी जानकारियां कैसे पहुंची। जिला आबकारी अधिकारी अरविंद मौर्या ने बताया कि क्यूआर कोड स्टिकर कहां से आए, इसकी जांच की जा रही है। किसी की मिलीभगत मिली तो कार्रवाई की जाएगी। वहीं, एप के सेफ्टी फीचर बढ़ाने के लिए शासन को रिपोर्ट भेजी जा रही है।  


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