पुण्यतिथि पर विशेष : चित्रकूट में भारत रत्न नानाजी का नाम लेते ही ताजा हो जातीं समृद्धि की यादें
नानाजी ने समाज शिल्पी दंपती अभियान से गांवों में कोहिनूर खोजकर स्वावलंबन का मंत्र दिया था।
चित्रकूट, [शिवा अवस्थी]। भारत रत्न राष्ट्र ऋषि नानाजी देशमुख का नाम आते ही यूपी-एमपी के चित्रकूट क्षेत्र में समृद्धि अभियान की यादें हर किसी के जेहन में ताजा हो जाती हैं। उन्होंने समाज शिल्पी दंपती अभियान से गांव-गांव कोहिनूर खोजे बल्कि खुशहाली लौटाई थी। खुद के अभावग्रस्त जीवन से सीख लेकर तरक्की का ऐसा कारवां खड़ा किया, जो वर्तमान में तमाम प्रकल्पों संग किसानों और युवाओं को बेहतरी की राह दिखा रहा है।
ताउम्र रहे स्वयं सेवक, बताई राजनीति की शुचिता
11 अक्टूबर 1916 को महाराष्ट्र के हिंगौली जिले के कंडोली गांव में जन्मे नानाजी देशमुख ताउम्र स्वयं सेवक रहे। जनता पार्टी की सरकार में मोरारजी देसाई मंत्रिमंडल में शामिल हुए। 60 साल से अधिक उम्र होने पर मंत्री पद ठुकरा राजनीति में शुचिता की नींव डाली। मध्यप्रदेश सतना के चित्रकूट में दीनदयाल शोध संस्थान की स्थापना की। दिल्ली समेत कई प्रांतों के बाद चित्रकूट में कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य, साहित्य, ग्रामीण विकास व उद्यमिता पर काम कर 500 गांवों को स्वावलंबन की राह दिखाई। अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में उनको राज्यसभा सदस्य मनोनीत किया गया था।
आरोग्यधाम बांट रहा जिंदगी
नानाजी ने महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय व आरोग्यधाम की स्थापना की थी। यहां वर्तमान में भी गंभीर रोगी आयुर्वेदिक औषधियों से इलाज पाते हैं। बीमार होने पर इलाज के लिए दिल्ली जाने से मना कर नानाजी ने अंतिम दिन यहीं पर बिताए। 27 फरवरी 2010 को निधन के बाद उनका शव अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान नई दिल्ली को सौंपा गया था।
यह मिले प्रमुख सम्मान
भारत रत्न सम्मान : 2019
ज्ञानेश्वर पुरस्कार : 2005
पद्मविभूषण सम्मान : 1999
-नानाजी की प्रेरणा से दीनदयाल शोध संस्थान प्रगति पथ पर है। समाज के अंतिम छोर पर बैठे व्यक्तियों के विकास का संकल्प लेकर बढ़ रहे हैं। -अभय महाजन, संगठन सचिव, दीनदयाल शोध संस्थान चित्रकूट