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Bank Fraud: बैंक में बेचने आता था चाय और धीरे-धीरे लगा दी डेढ़ करोड़ की चपत, अब खुल रहे कई राज

Bank Of India Fraud 16 साल पहले बैंक में कर्मियों को चाय पिलाते- पिलाते वह बैंक का दिहाड़ी कर्मी बन गया।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Thu, 18 Jun 2020 05:54 PM (IST)Updated: Fri, 19 Jun 2020 09:42 AM (IST)
Bank Fraud: बैंक में बेचने आता था चाय और धीरे-धीरे लगा दी डेढ़ करोड़ की चपत, अब खुल रहे कई राज

कानपुर, [शैलेन्द्र त्रिपाठी]। बैंक ऑफ इंडिया की महाराजपुर शाखा में डेढ़ करोड़ घोटाले का मास्टर माइंड डेढ़ दशक में चाय बेचते-बेचते शातिर साइबर अपराधी बन गया। बैंक कर्मचारियों को कंप्यूटर पर काम करते देखकर जानकार बना और ऑनलाइन बैंकिंग प्रणाली में महारत हासिल कर ली। इसके चलते बैंक की अतिगोपनीय प्रणाली भी उसके लिए आसान बन गई। रौब ऐसा था कि वो दिहाड़ी कर्मी नहीं बल्कि बैंक का ही कर्मी लगने लगा था।

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शातिर अपराधी की गिरफ्तारी के बाद खुलीं कई परतें

महाराजपुर की बैंक ऑफ इंडिया में 1.41 करोड़ घोटाले में नामजद मुख्य आरोपित हाथीपुर महाराजपुर निवासी पंकज गुप्ता की गिरफ्तारी के बाद कई अनसुलझी परतें खुल रही हैं। मामले के विवेचक नर्वल इंस्पेक्टर रामऔतार ने बताया कि मुख्य आरोपित पंकज ने बताया कि 16 साल पहले उसने बैंक में चाय बेचने का काम शुरू किया था। कर्मियों को चाय पिलाते- पिलाते वह बैंक का दिहाड़ी कर्मी बन गया। धीरे धीरे कंप्यूटर की बारीकियां भी सीख गया। विश्वास में आकर बैंक कर्मी भी पंकज से गोपनीय जानकारियां साझा करने लगे। इसका फायदा उठाकर पंकज ने दूसरों के खातों से लाखों रुपये अपनों के खातों में स्थानांतरित कर दिए। साधारण पंकज शातिर साइबर अपराधी बन गया।

बिना बैंक की मिलीभगत के लाखों का खेल संभव नहीं

इतने बड़े मामले में दो दर्जन से अधिक लोगों के खातों से लाखों रुपये पार कर दिए गए और बैंक को पता नहीं चला। ये बात न तो पुलिस को हजम हो रही है न ही बैंकिंग से जुड़े जानकारों को। पुलिस सूत्रों के मुताबिक बैंक के तीन-चार कर्मियों की भूमिका संदिग्ध है। पुलिस भी मान रही है कि बिना बैंक की संलिप्तता के इतना बड़ा खेल संभव नहीं है। पुलिस को जांच में जानकारी मिली है कि एक रसूखदार के खाते में भी लाखों का ट्रांजक्शन किया गया है। विवेचक नर्वल इंस्पेक्टर रामऔतार ने बताया कि मामले की जांच चल रही है जो भी दोषी होगा बख्सा नहीं जाएगा।


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