बारिश से बागान डूबे, चाय में उछाल
कानपुर के लोग अभी बारिश का इंतजार ही कर रहे हैं, वहीं असम में चाय के बागान बाढ़ के पानी में डूब गए हैं। कई जिलों में इसका प्रभाव है जिसकी वजह से पत्तियों को तोड़ने का काम बंद हो गया है। कई स्थानों पर तो पौधे ही बह गए हैं। इस वजह से शहर में चाय की कीमतें तेजी से बढ़ने लगी हैं। मात्र 20 दिन में इनमें 50 रुपये का उछाल आया है।
जागरण संवाददाता, कानपुर : कानपुर के लोग अभी बारिश का इंतजार ही कर रहे हैं, वहीं असम में चाय के बागान बाढ़ के पानी में डूब गए हैं। कई जिलों में इसका प्रभाव है जिसकी वजह से पत्तियों को तोड़ने का काम बंद हो गया है। कई स्थानों पर तो पौधे ही बह गए हैं। इस वजह से शहर में चाय की कीमतें तेजी से बढ़ने लगी हैं। मात्र 20 दिन में इनमें 50 रुपये का उछाल आया है।
20 जून के करीब शहर में खुली चाय के बाजार में अच्छी चाय 250 रुपये किलो के करीब थी। निचले स्तर पर चाय की कीमत 140 से 150 के करीब थी। इस समय इनकी कीमत में काफी वृद्धि हो चुकी है। बाजार में 250 रुपये वाली चाय 300 रुपये तक पहुंच चुकी है। निचले स्तर की चाय 175 के करीब है। कारोबारियों के मुताबिक यह असम के बागानों में बाढ़ के प्रभाव का असर है। वहां निचले क्षेत्र के बागानों में पानी भर चुका है। बागान में काम करने वालों के आवास भी क्षतिग्रस्त हुए हैं। करीब 25 फीसद उत्पादन प्रभावित हुआ है।
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चाय की पत्ती का स्टॉक
अभी तक जो चाय की पत्ती तोड़ी गई है, वह शुरूआती समय की होने की वजह से अच्छी होती है। इसलिए उसका स्टॉक कर लिया जाता है। इस वजह से चाय की पत्ती की और कमी है।
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यहां ज्यादा प्रभाव
देवपाड़ा, लक्खीपाड़ा मोगलकाटा, बानरहाट, गेदापाड़ा, तेलीपाड़ा, बिन्नागुड़ी, मेचपाड़ा, पाटकापाडा, माझेरडाबरी आदि।
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बारिश के दौरान चाय की खपत भी बढ़ती है। शहर में एक बार बारिश होने के बाद इसकी खपत काफी तेजी से बढ़ेगी। तब कीमतों में और वृद्धि होगी।
- श्याम अग्रहरि, महामंत्री, कानपुर चाय व्यापार मंडल।