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वर्ष 1992 के दंगे में ठेकेदारी के विरोध में हुई थी छात्र नेता श्याम पहाड़ी की हत्या, मुख्तार बाबा पर भी लगे आरोप

कानपुर शहर में वर्ष 1992 में हुए दंगे के दौरान डीएवी कालेज के पूर्व अध्यक्ष श्याम पहाड़ी की हत्या की गई थी। वकीलों ने पुलिस आयुक्त से मिलकर मुख्तार बाबा समेत कई अन्य पर हत्या में शामिल होने का आरोप लगाया है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Wed, 29 Jun 2022 11:33 AM (IST)Updated: Wed, 29 Jun 2022 11:33 AM (IST)
वर्ष 1992 के दंगे में ठेकेदारी के विरोध में हुई थी छात्र नेता श्याम पहाड़ी की हत्या, मुख्तार बाबा पर भी लगे आरोप
डीएवी कालेज के पूर्व अध्यक्ष श्याम पहाड़ी की हत्या में सामने आया नया तथ्य।

कानपुर, जागरण संवाददाता। बाबा बिरयानी रेस्टोरेंट के मालिक मुख्तार बाबा के जेल जाने के बाद अब डीएवी कालेज के पूर्व अध्यक्ष श्याम पहाड़ी की हत्या की दोबारा जांच की मांग उठने लगी है। मुख्तार समेत कई अन्य पर हत्या में शामिल होने का आरोप है। इस सिलसिले में अधिवक्ताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने पुलिस आयुक्त विजय सिंह मीना से मुलाकात की और हत्याकांड की जांच की मांग की। साथ ही बताया कि ठेकेदारी के विरोध में इस हत्याकांड को अंजाम दिया गया था। गौरतलब है कि हत्याकांड के बाद पुलिस ने केडीए को भेजी गई अपनी जांच रिपोर्ट में भी इसकी आशंका व्यक्त की थी।

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डीएवी कालेज के पूर्व अध्यक्ष श्याम पहाड़ी की हत्या वर्ष 1992 में अयोध्या में विवादित ढांचा ढहाए जाने के बाद शहर में हुए दंगे के दौरान तलाक महल रोड पर की गई थी। इस मामले में पुलिस ने जो रिपोर्ट केडीए को पिछले दिनों भेजी थी उसमें कहा गया था कि स्थानीय लोगों का कहना है कि श्याम पहाड़ी की हत्या में मुख्तार बाबा का हाथ है। अब मुख्तार के जेल जाने के बाद लोगों में उसकी दहशत कम हुई है और लोग न्याय की मांग को लेकर खड़े हो रहे हैं।

एडवोकेट मोहित श्रीवास्तव, सौरभ भदौरिया, ज्ञानेंद्र शुक्ला, विकास श्रीवास्तव आदि ने पुलिस आयुक्त से मुलाकात की। उन्होंने बताया कि उस समय यासीन खलीफा का नगर निगम, केडीए और पीडब्ल्यूडी के ठेके में गहरा दखल था। ठेकेदारों से बड़ी वसूली आती थी। ऐसे वक्त उस इलाके में श्याम पहाड़ी का उदय बाधा बन गया था। 15 लाख रुपये के ठेके वाली सड़क का विवाद था।

यह सड़क रूपम टाकीज से यतीमखाना के बीच बननी थी, जिसका ठेका यासीन अपने साले को दिलाना चाहता था। श्याम पहाड़ी बाधक बने तो यासीन खलीफा, मुख्तार बाबा और भईयान ने दंगे की आड़ में हत्याकांड को अंजाम दे डाला। उनकी पहुंच के चलते यह केस अब तक बंद पड़ा है। प्रकरण की दोबारा जांच कराई जाए।


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