Move to Jagran APP

Ayodhya Ram Mandir: ब्रह्महत्या का प्रायश्चित करने कन्नौज आए थे श्रीराम, पेड़ की छाल निकालते उभर आता है नाम

Ayodhya Ram Temple News कन्नौज के चिंतामणि घाट पर मंदिर में चरण पादुकाओं की पूजा होती है यहां पर यज्ञ करने के बाद श्रीराम ने ब्राह्मणों को भोज भी कराया गया था।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Mon, 03 Aug 2020 03:57 PM (IST)Updated: Mon, 03 Aug 2020 03:57 PM (IST)
Ayodhya Ram Mandir: ब्रह्महत्या का प्रायश्चित करने कन्नौज आए थे श्रीराम, पेड़ की छाल निकालते उभर आता है नाम
Ayodhya Ram Mandir: ब्रह्महत्या का प्रायश्चित करने कन्नौज आए थे श्रीराम, पेड़ की छाल निकालते उभर आता है नाम

कन्नौज, प्रशांत कुमार। कन्नौज की पौराणिक मान्यताओं की भी अपनी अलग महत्ता है। लंका विजय के बाद प्रकांड पंडित रावण का वध करने के बाद ब्रह्महत्या का प्रायश्चित करने के लिए प्रभु श्रीराम यहां पर आए थे। गंगा तट पर बना चिंतामणि घाट इसकी गवाही देता है। प्रभु श्रीराम के चरण रज पर माथा लगाने को हजारों भक्त दीपावली के दिन मंदिर में उमड़ पड़ते हैं।

loksabha election banner

मोक्षदायिनी गंगा और काली के तट पर चिंतामणि मंदिर बना हुआ है। कालांतर में रामभक्तों ने इसे मंदिर का रूप दे दिया। जनश्रुति और मान्यताओं के अनुसार लंका विजय के बाद ब्रह्महत्या दोष के निवारण के लिए प्रभु राम गुरु विश्वामित्र के पास गए। उन्होंने कुशानगरी (कन्नौज का प्राचीन नाम) के उत्तर में जंगल में तपस्या कर रहे मुनि चिंतामणि के पास जाने को कहा। श्रीराम पुष्पक विमान से सीता, लक्ष्मण, गुरु विश्वामित्र और हनुमान के साथ कन्नौज आए।

माता सीता ने अपने हाथों से चिंतामणि घाट पर ब्राह्मणों के लिए भोजन बनाया था। इस स्थान को सीता रसोई के नाम से जाना जाता है। वर्तमान में भी उनके भग्नावशेष (टूटी-फूटी वस्तुओं के बचे टुकड़े) मौजूद हैं। वह यज्ञशाला भी है, जहां श्रीराम ने यज्ञ किया था। बता दें कि मुनि चिंतामणि विश्वामित्र के पिता राजा गाधि (कन्नौज के राजा) के कुलगुरु थे। लोगों का दावा है कि इसका उल्लेख श्रीमद्भागवत में मिलता है।

आज भी पूजी जाती हैं चरण पादुकाएं

मंदिर के प्रधान पुजारी रामसेवक दास बताते हैं कि भगवान श्रीराम ने ब्राह्मणों के कल्याण के लिए अपनी चरण पादुकाएं चिंतामणि घाट पर छोड़ी थीं, जो यहां के मंदिर में स्थापित हैं। मंदिर परिसर में करीब दस जगह भगवान के चरण चिन्ह भी हैं, जो शिलाओं पर आज भी विद्यमान हैं। हर रविवार को भक्त पादुकाओं का पूजन करते हैं।

पेड़ पर उकर आता है राम नाम

घाट पर हजारों साल पुराना कदंब का पेड़ है। ग्रामीण बताते हैं कि पेड़ की छाल निकालने पर तने पर राम नाम की आकृति उकर आती है। मान्यता है कि यहां हर मनोकामना पूर्ण होती है। 50 वर्षीय नंदराम बोले, ये घाट पहले रामघाट के नाम से जाना जाता था। कदंब के पेड़ को ग्रामीण राम नाम से पुकारते हैं। पृथ्वीराज बताते हैं कि पुरखों से हमने यहां प्रभु के आने की बात सुन रखी है। जब से होश संभाला है, पेड़ को उसी आकार में देख रहे हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.