बिना ड्राइवर चलेगी कार, भारत में आने वाला है ऑटोमेटिक विजन सिस्टम
एचबीटीयू में आयोजित टेक्निकल एजुकेशन क्वालिटी इंप्रूवमेंट प्रोग्राम में शोध बढ़ाने व तकनीकी शिक्षा पर हुई चर्चा।
By AbhishekEdited By: Published: Fri, 30 Nov 2018 03:45 PM (IST)Updated: Sat, 01 Dec 2018 04:41 PM (IST)
कानपुर, जेएनएन। 'इंटेलीजेंट कंप्यूटिंग कम्युनिकेशन एंड डाटा साइंस' विषय पर आयोजित सेमिनार में एचबीटीयू कंप्यूटर साइंस विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. रघुराज सिंह ने बताया कि यूएसए व यूके के बाद ऑटोमेटिक विजन सिस्टम भारत में आने वाला है। इस सिस्टम के तहत कार सेंसर व विजन से चलेगी। यह ऐसी ऑटोमेटिक कार होगी जिसमें ड्राइवर की जरूरत नहीं होगी। सिर्फ दूरी फिक्स करनी होगी और यह आपको गंतव्य तक पहुंचा देगी। चौराहा व भीड़भाड़ वाले स्थानों पर यह रुकेगी और रास्ता साफ होने पर चलने लगेगी।
विदेशों से शोध में दस साल पीछे तकनीकी विश्वविद्यालय
एचबीटीयू में आयोजित टेक्निकल एजुकेशन क्वालिटी इंप्रूवमेंट प्रोग्राम में लखनऊ विश्वविद्यालय के कंप्यूटर साइंस के प्रोफेसर ब्रिजेंद्र सिंह ने कहा कि यूएसए, यूके, फ्रांस व जर्मनी के विश्वविद्यालयों से तुलना करें तो देश के तकनीकी विश्वविद्यालयों में शोध कार्य दस वर्ष पीछे चल रहा है। इसका कारण यह है कि हम डाटा साइंस विषय पर विशेषज्ञ के तौर पर काम नहीं कर रहे, जो कि तकनीकी अनुसंधान व विश्लेषण कार्यों का आधार है।
अमेरिका की मिशिगन यूनिवर्सिटी ने डाटा साइंस विषय के लिए सौ मिलियन डॉलर का बजट रखा है। साथ ही इसके लिए 35 प्रोफेसर नियुक्त किए जा रहे हैं। कहा कि तकनीकी शोध कार्य की आधारशिला डाटा साइंस हमारे पाठ्यक्रम में अलग विषय के तौर पर नहीं है। एमएचआरडी, यूजीसी व एआइसीटीई को डाटा साइंस रिसर्च को अलग पाठ्यक्रम बनाए जाने पर विचार करने की जरूरत है।
एक विषय में प्रकाशित कराएं पांच रिसर्च पेपर
डा. बृजेंद्र सिंह ने बताया कि प्रोफेसर बनने के लिए पांच रिसर्च पेपर प्रकाशित होने की अनिवार्यता होती है, जबकि अनिवार्यता यह होनी चाहिए कि यह रिसर्च पेपर एक ही क्षेत्र से संबंध रखते हों। जिसमें विशेषज्ञता हासिल हो।
क्लाउड में डाटा सुरक्षित
सम्मेलन में नोएडा के क्लाउड रेक की प्रोजेक्ट मैनेजर मिशा मिगलानी ने बताया कि क्लाउड में डाटा न केवल सुरक्षित रखा जा सकता है बल्कि इसे रखना सस्ता भी है। इसे आप कभी भी खोलकर डाउनलोड कर सकते हैं। ऑफिस के दस्तावेज से लेकर मोबाइल का डाटा सुरक्षित रखने के लिए इसका इस्तेमाल किया जा रहा है।
विदेशों से शोध में दस साल पीछे तकनीकी विश्वविद्यालय
एचबीटीयू में आयोजित टेक्निकल एजुकेशन क्वालिटी इंप्रूवमेंट प्रोग्राम में लखनऊ विश्वविद्यालय के कंप्यूटर साइंस के प्रोफेसर ब्रिजेंद्र सिंह ने कहा कि यूएसए, यूके, फ्रांस व जर्मनी के विश्वविद्यालयों से तुलना करें तो देश के तकनीकी विश्वविद्यालयों में शोध कार्य दस वर्ष पीछे चल रहा है। इसका कारण यह है कि हम डाटा साइंस विषय पर विशेषज्ञ के तौर पर काम नहीं कर रहे, जो कि तकनीकी अनुसंधान व विश्लेषण कार्यों का आधार है।
अमेरिका की मिशिगन यूनिवर्सिटी ने डाटा साइंस विषय के लिए सौ मिलियन डॉलर का बजट रखा है। साथ ही इसके लिए 35 प्रोफेसर नियुक्त किए जा रहे हैं। कहा कि तकनीकी शोध कार्य की आधारशिला डाटा साइंस हमारे पाठ्यक्रम में अलग विषय के तौर पर नहीं है। एमएचआरडी, यूजीसी व एआइसीटीई को डाटा साइंस रिसर्च को अलग पाठ्यक्रम बनाए जाने पर विचार करने की जरूरत है।
एक विषय में प्रकाशित कराएं पांच रिसर्च पेपर
डा. बृजेंद्र सिंह ने बताया कि प्रोफेसर बनने के लिए पांच रिसर्च पेपर प्रकाशित होने की अनिवार्यता होती है, जबकि अनिवार्यता यह होनी चाहिए कि यह रिसर्च पेपर एक ही क्षेत्र से संबंध रखते हों। जिसमें विशेषज्ञता हासिल हो।
क्लाउड में डाटा सुरक्षित
सम्मेलन में नोएडा के क्लाउड रेक की प्रोजेक्ट मैनेजर मिशा मिगलानी ने बताया कि क्लाउड में डाटा न केवल सुरक्षित रखा जा सकता है बल्कि इसे रखना सस्ता भी है। इसे आप कभी भी खोलकर डाउनलोड कर सकते हैं। ऑफिस के दस्तावेज से लेकर मोबाइल का डाटा सुरक्षित रखने के लिए इसका इस्तेमाल किया जा रहा है।
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