Move to Jagran APP

Water-purifying Devices: जल की उपलब्धता और शुद्धता को मजबूत कर रही यह तकनीक

Water-purifying Devices शोधार्थी श्वेता बाजपेयी ने बताया कि कंप्यूटर प्रोग्रामिंग की मदद से इस तकनीक में जिन सेंसर का इस्तेमाल किया जा रहा है उसमें आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस मशीन लर्निंग और इंटरनेट आफ थिंग्स के माध्यम से एक आदर्श जल के सभी तत्वों का डाटा अपलोड किया जा रहा है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 28 May 2022 06:10 PM (IST)Updated: Sat, 28 May 2022 06:10 PM (IST)
Water-purifying Devices: जल की उपलब्धता और शुद्धता को मजबूत कर रही यह तकनीक
Water-purifying Devices सेंसर मानक से ज्यादा हानिकारक पदार्थ पानी में होने पर अलर्ट भेजेंगे।

चंद्रप्रकाश गुप्ता, कानपुर: छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय से संबद्ध ब्रह्मानंद डिग्री कालेज के रसायन विज्ञान विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डा. अलका तांगड़ी और उनकी टीम आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और इंटरनेट आफ थिंग्स की मदद से एक ऐसी डिवाइस बना रही है, जो पानी के स्वास्थ्य की जांच करने के साथ उसमें विषाक्त पदार्थ की मात्रा मानक से ज्यादा होने पर जिम्मेदारों को अलर्ट भी करेगी। एसोसिएट प्रोफेसर ने इस तकनीकी को पेटेंट करा लिया है।

loksabha election banner

लगाए गए हैं सेंसर: डा. अलका ने बताया कि पिछले वर्ष उन्होंने इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया था और छह माह की मेहनत के बाद तकनीक विकसित की है। डा. अलका के अनुसार विशेष तौर पर यह डिवाइस ग्रामीण क्षेत्रों के जलस्रोतों के लिए बनाई जा रही है। ताकि गांवों में लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने में मदद मिल सके। उन्होंने बताया कि तकनीकी में एक दर्जन सेंसर लगाए गए हैं। हर सेंसर पानी में मौजूद विभिन्न तत्वों की अलग जांच करके रिपोर्ट आनलाइन उपलब्ध कराएगा। इस तकनीक से पानी में घुलित आक्सीजन, पीएच वैल्यू, बीओडी (बायोकेमिकल आक्सीजन डिमांड), सीओडी (केमिकल आक्सीजन डिमांड), कैल्शियम, आर्सेनिक, आयरन, क्रोमियम, मैग्नीशियम, वैक्टीरिया आदि तत्वों की मात्रा का वास्तविक समय में पता लग सकेगा। डा. अलका के साथ इस शोध टीम में उनकी छात्रा रहीं और वर्तमान में निजी इंजीनियरिंग कालेज की प्रवक्ता श्वेता बाजपेयी भी शामिल हैं।

इस तकनीक के साथ एक एप्लीकेशन भी तैयार किया गया है, जिसे विभिन्न जलस्रोतों से संबंधित अधिकारियों के मोबाइल फोन में इंस्टाल करना होगा। इसके बाद न केवल पानी में मौजूद तत्वों की मात्रा पता लगेगी, बल्कि डिवाइस में लगे सेंसर पानी में क्रोमियम जैसे हानिकारक पदार्थों की मात्रा मानक से ज्यादा होने पर संबंधित अधिकारी के मोबाइल पर अलार्म के रूप में संकेत भी मिलेगा। यानी कि अधिकारियों को बिना जलस्रोत के पास जाए ही पूरा डाटा मोबाइल स्क्रीन पर मिलेगा और इसकी मदद से वह जरूरी कदम उठा सकेंगे।

फीड किया गया विभिन्न तत्वों का डाटा: शोधार्थी श्वेता बाजपेयी ने बताया कि जब सेंसर नदियों, नहरों व अन्य स्रोतों के संपर्क में आएंगे तो मानक के हिसाब से ही वास्तविक डाटा उपलब्ध कराएंगे। सेंसर मानक से ज्यादा हानिकारक पदार्थ पानी में होने पर अलर्ट भेजेंगे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.