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सर्दी खांसी में भी एंटीबायोटिक देकर बीमारी को और गंभीर बना रहे झोलाछाप

दो दिन में मरीज को राहत न मिलने पर बदल देते हैं दवाएं, ऐसे में प्रतिरोधक क्षमता पैदा कर लेते बैक्टीरिया।

By AbhishekEdited By: Published: Sun, 03 Feb 2019 04:01 PM (IST)Updated: Mon, 04 Feb 2019 10:53 AM (IST)
सर्दी खांसी में भी एंटीबायोटिक देकर बीमारी को और गंभीर बना रहे झोलाछाप
कानपुर, जागरण संवाददाता। शहर के थोक दवा बाजार में बड़ा कारोबार होता है। रोज होने वाले कारोबार में करीब 40 फीसद हिस्सेदारी एंटीबायोटिक दवाओं की है। इसकी जबरदस्त मांग ग्रामीण क्षेत्रों में है, मामूली सर्दी-खांसी में एंटीबायोटिक का धड़ल्ले से इस्तेमाल होता है। दो दिन में मरीजों को राहत न मिलने पर दवाएं बदल देते हैं। नतीजन, हाई डोज एंटीबायोटिक के प्रति बैक्टीरिया प्रतिरोधक क्षमता पैदा कर लेते हैं। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में मरीजों पर हुए अध्ययन में यह बात सामने आई है।
गंभीर स्थिति में एलएलआर आते मरीज
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के एलएलआर (हैलट) एवं संबद्ध अस्पतालों में जिले ही नहीं अपितु आसपास के कई जिलों से मरीज आते हैं। चिकित्सकों का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्र में अधिकांश मरीज गंभीर हालत में आते हैं। वहां झोलाछाप न केवल उनको लूट लेते हैं, बल्कि हाई डोज एंटीबायोटिक का इस्तेमाल कर केस को इतना बिगाड़ देते हैं कि मैनेज करना चुनौती होता है।
ऐसे में लिया अध्ययन का निर्णय
ग्रामीण क्षेत्रों से इलाज के लिए आने वाले गंभीर मरीजों पर अध्ययन का निर्णय मेडिसिन, सर्जरी और बाल रोग विभाग के चिकित्सकों ने लिया। ताकि इन मरीजों के इलाज के लिए एंटी बायोटिक का प्रोटोकॉल बन सके। इसके लिए मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी में मरीजों के रक्त नमूने की कल्चर जांच कराई जा रही है। अब तक आठ हजार नमूनों की जांच कराई जा चुकी है।
चार हजार से अधिक झोलाछाप
जिले में चार हजार से अधिक झोलाछाप इलाज की दुकान खोले हैं। ये न केवल लोगों को लूटते बल्कि अपने इलाज से कई लोगों की जान ले लेते हैं। अखबारों में खबरे छपने के बाद भी स्वास्थ्य विभाग के अफसर कार्रवाई के नाम पर औपचारिकता निभाते हैं।
कई दवाएं खत्म पर रोक नहीं
एंटीबायोटिक का सबसे अधिक इस्तेमाल झोलाछाप ही करते हैं। इसे देखते हुए केंद्र सरकार ने एंटी बायोटिक के कई कांबिनेशन खत्म कर दिए थे।
करोड़ों का कारोबार
शहर के बिरहाना रोड स्थित थोक दवा बाजार में दवाओं का रोज 10 करोड़ रुपये का कारोबार है। दवा कारोबारियों का कहना है कि सीजन में एंटीबायोटिक दवाओं का व्यापार 40 फीसद होता है। इस हिसाब से एक दिन में 4 करोड़ रुपये, एक माह में 100 करोड़ और एक साल में 1200 करोड़ रुपये का कारोबार है। हेल्दी सीजन में 25 फीसद पर पहुंच जाता है, जिसमें एक दिन में 2.5 करोड़ रुपये, महीने में 62.5 और साल में 750 करोड़ रुपये का व्यापार होता है।
जीएसवीएम के अध्ययन पर नजर
-8000 मरीजों की कल्चर जांच-6000 मरीज मिले हाई डोज एंटी बायोटिक रेसिस्टेंट
-2000 मरीज फस्र्ट लाइन एंटी बायोटिक से रेसिस्टेंट पाए गए
कारोबार की स्थिति
-750-1200 करोड़ रुपये का थोक बाजार में साल भर में एंटीबायोटिक का कारोबार
-62.5-100 करोड़ रुपये का महीने का है कारोबार (महीने में 25 दिन)
कानून के दायरे में एमबीबीएस डॉक्टर
एंटीबायोटिक इस्तेमाल करने का जो मसौदा तैयार किया गया है, उसमें कानून के दायरे में सिर्फ एमबीबीएस डॉक्टर्स ही रखे गए हैं। इसमें झोलाछाप तथा अन्य पैथी के चिकित्सकों के लिए स्थिति स्पष्ट नहीं है, इससे भी संशय की स्थिति रहती है।
ऐसे करें एंटीबायोटिक का इस्तेमाल
एंटी बायोटिक दवाएं स्टेप बाई स्टेप चलाई जाती है। पहले बेसिक एंटी बायोटिक दी जाती हैं। उसके बाद उससे ऊपर ग्रेड की। फिर हाई डोज की।
इनका क्या है कहना
एंटी बायोटिक का कारोबार तेजी से बढ़ा है। मरीजों को हाई डोज एंटीबायोटिक लिखना घातक है। दवा दुकानदार को भी एंटी बायोटिक को लेकर पूरी गाइडलाइन का पालन करना चाहिए। इसका दुरुपयोग घातक है।
- राजेंद्र सैनी, अध्यक्ष, दवा व्यापार मंडल।
बगैर डॉक्टर के पर्चे पर एंटीबायोटिक दवा खरीदना और बेचना गलत है। इससे आप ठीक हो सकते हैं, लेकिन जाने-अंजाने बैक्टीरिया की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा रहे हैं। जब आपको कोई गंभीर संक्रमण होगा तो हाई डोज एंटीबायोटिक काम नहीं करेगी। आप हाई रिस्क पर आ जाएंगे।
- डॉ. अंबरीश गुप्ता, प्रोफेसर, फार्मांकोलॉजी।  

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