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आइआइटी कानपुर और रक्षा मंत्रालय के बीच करार, अब और प्रभावी बनाएंगे सीपीजीआरएएमएस

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह कार्मिक राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने एमओयू पर हस्ताक्षर किए है केंद्रीय लोक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली को और मजबूत बनाया जाएगा।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Wed, 05 Aug 2020 10:00 AM (IST)Updated: Wed, 05 Aug 2020 01:44 PM (IST)
आइआइटी कानपुर और रक्षा मंत्रालय के बीच करार, अब और प्रभावी बनाएंगे सीपीजीआरएएमएस
आइआइटी कानपुर और रक्षा मंत्रालय के बीच करार, अब और प्रभावी बनाएंगे सीपीजीआरएएमएस

कानपुर, जेएनएन। केंद्रीय लोक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली (सीपीजीआरएएमएस) को और सशक्त बनाने के लिए आइआइटी कानपुर का रक्षा मंत्रालय और प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी) से करार हुआ है। इसमें ऑनलाइन फीड करते ही शिकायतें स्वत: संबंधित अधिकारी को अग्र्रसारित होंगी और उनका निस्तारण भी गुणवत्तापूर्ण होगा। इसमें जांच की निगरानी करना आसान होगा। वरिष्ठ अधिकारी शिकायतों के निस्तारण की प्रगति जान सकेंगे। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, कार्मिक राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने ऑनलाइन मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। रक्षा सचिव और आइआइटी कानपुर के एल्युमिनाई डॉ. अजय कुमार, डीएआरपीजी के संयुक्त सचिव डॉ. छत्रपति शिवाजी, रक्षा मंत्रालय के संयुक्त सचिव राकेश मित्तल, डीएआरपीजी के सचिव डॉ.वी श्रीनिवास शामिल रहे। आइआइटी की ओर से उप निदेशक प्रो. एस गणेश, डीन रिसर्च एंड डेवलपमेंट प्रो. एआर हरीश, प्रो. शलभ, प्रो. पीयूष राय, प्रो. निशीथ श्रीवास्तव मौजूद रहे। यह प्रोजेक्ट एक वर्ष का रहेगा।

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पता चलेगा कहां से आ रहीं ज्यादा शिकायतें

आइआइटी के गणित विभाग के प्रो. शलभ, कंप्यूटर साइंस के प्रो. पीयूष और प्रो. निशीथ आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, मशीन लर्निंग, सांख्यिकी से शिकायतों के लिए पूरा सिस्टम तैयार करेंगे। इसमें मैथमेटिकल मॉडङ्क्षलग की मदद ली जाएगी। इससे पता चलेगा कि कहां से ज्यादा शिकायतें आ रही हैं। उन पर तुरंत एक्शन लिया जा सकेगा। प्रो. शलभ ने बताया कि शिकायतों के निस्तारण की गुणवत्ता का आकलन आसान होगा। संबंधित व्यक्ति के पास शिकायत अपने आप ट्रांसफर होने से लंबित शिकायतों की समस्या दूर होगी। 

अन्य मंत्रालयों में हो सकता लागू

आइआइटी के विशेषज्ञों के मुताबिक रक्षा मंत्रालय के प्रोजेक्ट के बाद इस सिस्टम को अन्य मंत्रालयों में लागू किया जा सकता है। अन्य मंत्रालयों के सचिव की ओर से बातचीत चल रही है।


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