चुनावी चौपालों में जीत रहे चारों लड़ाके
घाटमपुर उपचुनाव में सभी दलों के समर्थक कर रहे अपने प्रत्याशी की जीत का दावा
घाटमपुर उपचुनाव
-कांग्रेस प्रत्याशी समर्थकों का सजातीय मतों संग भाजपा के वोट बैंक में सेंध लगाने का दावा
-भाजपा समर्थकों को 2017 की जीत से भी ज्यादा के अंतर से फतह मिलने का पूरा विश्वास
- सपा समर्थकों को सपा सरकार काम व प्रत्याशी के सरल स्वभाव का लाभ मिलने का यकीन
- कम मतदान को पार्टी हक में मान रहे बसपा समर्थकों को बेस वोटर के न डिगने पर भरोसा संवाद सहयोगी, घाटमपुर : मतदान खत्म होने के बाद भी मतदाता चुप हैं, लेकिन चाय पान की दुकानों में सजने वाली महफिलों में समर्थक सुबह से शाम तक जीत हार के आंकड़े लगा रहे हैं। मजेदार बात यह है कि भाजपा, कांग्रेस, सपा व बसपा समर्थक एक दूसरे के आधार मतों में सेंध का दावा करके खुद की जीत का दावा कर रहे हैं।
मूसानगर रोड स्थित एक चाय की दुकान में जुटे आधा दर्जन लोग जीत हार के समीकरण जोड़ने में मशगूल थे। उनके बीच प्रत्याशियों की जीत को लेकर बहस जोरों पर है। दो बुजुर्ग व एक युवक जहां कांग्रेस की जीत का दावा कर रहे थे, वहीं दो लोग भाजपा व सपा की जीत के दावे कर रहे थे। कांग्रेस समर्थकों का तर्क है कि प्रत्याशी के सजातीय मतदाताओं ने एक जुट होकर पक्ष में मतदान किया। इसके अलावा चुनाव के सारथी रहे पूर्व सांसद राजाराम पाल व राकेश सचान ने भाजपा के आधार मतों में भारी सेंध लगाई। भाजपा समर्थक इसे मानने को कतई तैयार नहीं था। बहस तीखी हुई, तो वह भाजपा प्रत्याशी उपेंद्र पासवान को कमल रानी वरुण से अधिक वोट मिलने का दावा करने लगा। सपा प्रत्याशी इंद्रजीत का समर्थक युवक काफी देर तक कांग्रेस व भाजपा प्रत्याशी के तर्को को दम साध कर सुनता रहा, इसके बाद वह अखिलेश के दौर में हुए विकास कार्य एवं प्रत्याशी के सौम्य व सज्जन होने का तर्क देते हुए जीत का दावा करने लगा। इसी बीच चौपाल में शामिल हुए सेवानिवृत्त कर्मी ने भी सपा प्रत्याशी की शालीनता की तारीफ की। काफी देर तक चली बहस के बाद कोई भी अपने दावों से पीछे नहीं हटा।
कस्बा नौरंगा स्थित एक दुकान में जमी चौपाल में एक वृद्ध कम मतदान के चलते बसपा की जीत का दावा करते हुए मिले। उनका कहना था कि दूसरे दलों के तमाम नेताओं की तमाम जोर आजमाइश के बावजूद बसपा का वोटर टस से मस नहीं हुआ। कम मतदान होने के चलते बसपा ही जीतेगी। हालांकि चौपाल में मौजूद दो अन्य लोग उनके तर्क से सहमत नही थे और भाजपा की जीत का दावा करते दिखे।