वृद्धजन का जीवन भी सुगम बना रहा कानपुर एलिम्को, इन उपकरणों ने दिव्यांगों को बनाया आत्मनिर्भर
एलिम्को संस्थान की स्थापना वर्ष 1972 में हुई थी। आज यह संस्थान दिव्यांगजन की सहायता के लिए कम कीमत पर अत्याधुनिक सहायक उपकरणों का निर्माण करके देश ही नहीं विदेश में भी सबसे बड़े निर्माता व आपूर्तिकर्ता का दर्जा हासिल कर चुका है।
कानपुर, जागरण संवाददाता। भारतीय कृत्रिम अंग निर्माण निगम (एलिम्को) दिव्यांगजन के साथ ही असहाय वृद्धजन का जीवन भी सुलभ बनाने में जुटा है। जो लोग ठीक से चल नहीं पाते थे, वे आज कृत्रिम अंगों की बदौलत दौड़ रहे हैं और जो दृष्टिहीन असहाय होकर घर के एक कोने में बैठे रहते थे, वह सेंसर युक्त छड़ी की बदौलत खुद चलकर अपने काम कर रहे हैं। जी हां, 50 वर्षों से एलिम्को इसी तरह दिव्यांगों की सेवा कर रहा है।
जीटी रोड पर नारामऊ क्रासिंग के सामने स्थित एलिम्को संस्थान की स्थापना भारत सरकार ने सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के अधीन वर्ष 1972 में की थी। आज यह संस्थान दिव्यांगजन की सहायता के लिए कम कीमत पर अत्याधुनिक सहायक उपकरणों का निर्माण करके देश ही नहीं विदेश में भी सबसे बड़े निर्माता व आपूर्तिकर्ता का दर्जा हासिल कर चुका है। निगम सरकार की ओर से संचालित दिव्यांगजन की सहायता (एडिप), समग्र शिक्षा अभियान और राष्ट्रीय वयोश्री योजना के तहत दिव्यांगजन और वृद्धजनों को आत्मनिर्भर व सक्षम बनाने के लिए तकनीकी उपकरण उपलब्ध करा रहा है। एडिप व समग्र शिक्षा अभियान के तहत ऐसे नागरिक, जिनकी मासिक आय 15 हजार रुपये से कम है, उन्हें नि:शुल्क उपकरण दिए जाते हैं। साथ ही जिनकी आय 15 हजार से ज्यादा व 20 हजार से कम है, उन्हें आधे मूल्य पर उपकरण दिए जाते हैं।
यही नहीं राष्ट्रीय वयोश्री योजना के तहत भी 15 हजार मासिक आय या उससे कम आय वाले वृद्धजनों को भी शारीरिक सहायक यंत्र व उपकरण प्रदान किए जा रहे हैं।
यह हैं विशेषताएं
- पांच सहायक उत्पादन केंद्र, पांच क्षेत्रीय विपणन केंद्र व फरीदाबाद (हरियाणा) में निर्माणाधीन उत्पादन केंद्र।
- भारतीय मानक ब्यूरो 9001-2015 और 14001-2015 की ओर से प्रमाणित
- 26 श्रेणियों के 273 प्रकार के पुनर्वास उत्पादों का निर्माण, जिसमें 18 उपकरण आइएसआइ मार्क के।
- निगम की ओर से नौ विभिन्न श्रेणियों में नौ गिनीज बुक आफ वल्र्ड रिकार्ड बनाया।
- वरिष्ठ नागरिकों की सेवा के लिए राष्ट्रपति की ओर से वयोश्रेष्ठ सम्मान हासिल किया।
संसद में होगा एलिम्को की सुगम्य छड़ी का विमोचन: एलिम्को की ओर से तीन मीटर दूर तक अवरोध को अल्ट्रासोनिक सेंसर के जरिए पहचानने वाली सुगम्य केन (छड़ी) का उद्घाटन संसद के शीतकालीन सत्र में कराने की तैयारी हो रही है। इसके लिए एलिम्को के अधिकारी लगातार संसद से संपर्क कर रहे हैं। दृष्टिबाधित लोगों के लिए तैयार की गई इस छड़ी की खासियत है कि चलते समय सामने किसी वस्तु के आ जाने पर छड़ी से ध्वनि तरंग उत्पन्न होने लगती है। छड़ी को पकड़कर चलने वाले को अहसास हो जाता है और वह दिशा बदल सकता है। यही नहीं यह छड़ी आठ घंटे का बैकअप देती है। इसके बाद दोबारा चार्ज करना पड़ता है। विशेषज्ञों ने बताया कि छड़ी का प्रयोग करने वाला व्यक्ति सेंसर की पोजीशन के हिसाब से दो प्रकार से काम ले सकता है। बाहरी वातावरण में जाने पर तीन मीटर मोड के सेंसर को आन किया जा सकता है और इनडोर के लिए 1.5 मीटर मोड का सेंसर आन किया जा सकता है। छड़ी की ऊंचाई भी व्यवस्थित की जा सकती है। इससे पहले संस्थान ने स्मार्ट केन भी बनाई थी।
यह उपकरण पहले से ही डिमांड में: एलिम्को की ओर से तैयार की गई व्हील चेयर स्टैंडर्ड माडल साथी, व्हील चेयर फोल्डिंग ममता, ट्राइ साइकिल हमराही व गतिमान, जायस्टिक संचालित व्हील चेयर, मोटराइज्ड ट्राइसाइकिल, फोल्डिंग व्हील चेयर (मोटीवेशन), रफ टेरेन व्हील चेयर, विभिन्न साइज की बैशाखी, कोहनी बैशाखी, रोलेटर, छड़ी, सीपी चेयर कमोड सहित, डेजी प्लेयर, स्मार्ट फोन (स्क्रीन रीडिंग व मैग्नीफायर साफ्टवेयर सहित), ब्रेल स्लेट, ब्रेल किट, श्रवण यंत्र, प्रोगामेबल श्रवण यंत्र, एमएसआइईडी किट, एडीएल किट पहले से ही काफी डिमांड में हैं। इसके साथ ही कृत्रिम हाथ व पैर, एंकल फुट आर्थोसिस, ट्राइपाड, वाकर, कृत्रिम दांत, कुर्सी स्टूल व कमोड सहित, व्हील चेयर कमोड सहित, स्पाइनल सपोर्ट, सर्वाइकल कालर, फुट केयर किट का भी उत्पादन तेजी से हो रहा है।
रोजगार करने के लिए भी ट्राइसाइकिल: निगम के अधिकारियों ने बताया कि विशेष मांग होने पर वह रोजगार करने के लिए भी ट्राइसाइकिल बनवाते हैं। एक विशेष ट्राइ साइकिल में सामान रखने और काउंटर की तरह सिस्टम तैयार किया गया है। अगर कोई दिव्यांग व्यक्ति किसी बाजार में अपना खुद का खानपान का सामान या कोई अन्य उत्पाद बेचना चाहे तो वह आसानी से कर सकता है। साथ ही सामान भरकर लाने के लिए अलग से बाक्स भी दिया गया है। वितरण के लिए रखे गए उत्पादों को बारिश व धूल आदि से बचाने के लिए ट्राइसाइकिल में कवर की भी व्यवस्था है, जो इसे चारों ओर से पैक कर देती है।