कानपुर संसदीय सीट पर कम मतदान ने उलझाए अनुमान, जानिए पहले कितने पड़े थे वोट
2014 के मुकाबले छावनी सीसामऊ व आर्यनगर में बढ़े वोट लेकिन किदवई नगर व गोविंद नगर क्षेत्र में मतदाताओं को रुझान घट गया।
कानपुर, जेएनएन। मतदान खत्म होने के साथ प्रत्याशी से लेकर आम मतदाता तक आकलन में जुटा हुआ है। यह और बात है कि कम मतदान ने सबके अनुमान उलझा दिए हैैं। आंकड़े बता रहे हैं कि कानपुर सीट पर 2014 के लोकसभा चुनाव के मुकाबले कम मतदान हुआ है। हालांकि, संख्या के हिसाब से देखें तो पिछली बार से ज्यादा मतदाताओं ने वोट डाले हैैं। वर्ष 2014 में 8,32,801 मतदाताओं ने वोट डाले थे, इस बार 9,785 वोट ज्यादा पड़े हैं। इस तरह अबकी बार कुल 8,42,586 वोट पड़े।
2014 में भाजपा के डॉ. मुरली मनोहर जोशी ने 2,22,946 वोट से जीत पाई थी। तब, छावनी छोड़कर डॉ. जोशी ने हर विधानसभा क्षेत्र में कांग्र्रेस प्रत्याशी श्रीप्रकाश जायसवाल को पीछे छोड़ा था। जोशी ने गोविंद नगर में करीब 88 हजार, सीसामऊ में 12 हजार, आर्यनगर में 23 हजार और किदवई नगर में एक लाख आठ हजार की बढ़त बनाई थी लेकिन, छावनी में करीब तीन हजार मतों से पीछे रह गए थे। 2017 के विधानसभा चुनाव में उलटफेर हो गया। 2014 में जिस छावनी सीट पर कांग्र्रेस ने ज्यादा वोट पाए थे, उसे भाजपा झटक ले गई। भाजपा की बढ़त वाली सीसामऊ व आर्यनगर सीट पर सपा काबिज हो गई।
2014 के मुकाबले 2019 में गोविंद नगर व किदवई नगर विधानसभा क्षेत्र के मतदान में गिरावट आई है। दोनों क्षेत्रों को सबसे ज्यादा वोट करने वाला माना जाता है। छावनी, आर्यनगर और सीसामऊ में मतदान बढ़ा है। सीट पर बढ़े और घटे मतदान को देखते हुए आकलन भी बदल रहे हैं। इस उलझाव के बीच भाजपा, कांग्र्रेस और सपा नेता अपने-अपने जीत के दावे कर रहे हैं।
भाजपाइयों का दावा है कि 2014 के चुनाव में जो उनकी जीत का आधार था वह अब भी बरकरार है। कांग्रेसियों का कहना है कि जिन विधानसभा क्षेत्रों में वोट बढ़ा है, उसमें भारी बढ़त बनाएंगे और यह उनके जीत का आधार होगी। इन्हीं विधानसभा क्षेत्रों को लेकर सपा नेता भी जीत की गणित लगाए हैं। हालांकि कांग्र्रेसी किदवई नगर और गोविंद नगर में भी अपना वोट बढऩे की बात भी कह रहे हैं।