सागर राष्ट्रीय राजमार्ग पर भीषण टक्कर के बाद ट्रक व डंपर में लगी आग, चालक की झुलस कर मौत
ट्रक खड्ड में पलटा। डंपर के सड़क पर धू-धू कर जलने से एक घंटा जाम रहा राजमार्ग। सड़क पर खड़े डंपर के तेज लपटें निकलती देख दोनों छोर का यातायात कुछ दूरी पर ठहर गया। आग की चपेट में आकर टायर फटने के बाद घटनास्थल पर भगदड़ भी मच गई।
कानपुर, जेएनएन। सागर राष्ट्रीय राजमार्ग स्थित कस्बा पतारा के नेहरू विद्या पीठ इंटर काॅलेज के सामने मंगलवार रात डंपर व ट्रक के बीच हुई जोरदार टक्कर के बाद भीषण आग लग गई। लपटों की चपेट में आकर डंपर चालक की झुलस कर मौत हो गई है। जबकि आग बुझाए जाने के बाद वाहनों में अन्य कोई शव बरामद न होने से ट्रक के चालक व खलासी के मौके से भाग जाने की आशंका जताई जा रही है।
लखनऊ के पंजीकरण संख्या वाला 14 चक्का ट्रक कानपुर की ओर जा रहा था। मंगलवार रात करीब साढ़े नौ बजे कस्बा पतारा स्थित नेहरू विद्या पीठ इंटर काॅलेज के सामने पहुंचते ही उसकी टक्कर शहर की ओर से आ रहे कानपुर देहात में पंजीकृत डंपर से हो गई। हादसे के बाद ट्रक सड़क किनारे खड्ड में पलट गया और दोनों वाहनों में भीषण आग लग गई। सड़क पर खड़े डंपर के तेज लपटें निकलती देख दोनों छोर का यातायात कुछ दूरी पर ठहर गया। आग की चपेट में आकर टायर फटने के बाद घटनास्थल पर भगदड़ भी मच गई। सूचना पाकर पतारा चौकी व कोतवाली पुलिस मौके पर पहंची और फायर ब्रिग्रेड को सूचना दी। आग बुझाए जाने के बाद डंपर के केबिन में चालक का शव बरामद हुआ है।
इनका ये है कहना
ट्रक में कोई शव न बरामद होने से सवार चालक व खलासी के भाग निकलने की संभावना है। क्योंकि ट्रक में पीछे से आग लगी थी। डंपर चालक की मौत हुई है। मालिक को सूचना देकर मृतक की शिनाख्त के प्रयास किया जा रहा है। जले डंपर को रोड से हटवा कर रात साढ़े 10 बजे यातायात बहाल करा दिया गया है। - राजीव सिंह, प्रभारी निरीक्षक
डंपर चालक को दो दिसंबर को पीले करने थे बेटी के हाथ
दिवंगत चालक चंद्रिका विश्वकर्मा को बेटी संतोषी के हाथ दो दिसंबर को पीले करने थे। 19 अक्टूबर को वह तिलक चढ़ा कर लौटा था। मौके पर पहुंचे स्वजनों के मुताबिक चंद्रिका की पत्नी की मृत्यु करीब 15 वर्ष पूर्व हो चुकी थी। जिसके बाद से तीन बेटियों व 18 वर्षीय पुत्र विकास का पालन पोषण चंद्रिका खुद करता था। दो बेटियों के हाथ पीले कर चुके चंद्रिका ने तीसरी बेटी संतोषी की शादी कानपुर देहात के रूरा थानान्तर्गत गांव कारी निवासी रामबाबू विश्वकर्मा के बेटे के साथ तय की थी। तीन नवंबर को तिलक की रस्म पूरी करने के बाद उसे दो नंवबर को संतोषी के हाथ पीले करने थे। स्वजन के मुताबिक हादसे से करीब एक घंटे पूर्व ही चंद्रिका घर से धर्मपुर बंबा आया था। जहां एवजीदार चालक से डंपर लेकर वह मौरग लेने खदान जाने को निकला था।