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99 फीसद दुकानदार बेच रहे बिना हॉलमार्क के जेवर

ग्राहक को दिए रुपये का सामान मिले और उसके साथ कोई ठगी न हो, इसके लिए राष्ट्र से लेकर जिले स्तर तक तमाम अभियान चलते रहते हैं। सोने के जेवरों की खरीदारी में ग्राहक कम पैसा चुकाने के चक्कर में खुद ही ठगी का शिकार हो जाता है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 30 Jun 2018 01:30 PM (IST)Updated: Sat, 30 Jun 2018 01:30 PM (IST)
99 फीसद दुकानदार बेच रहे बिना हॉलमार्क के जेवर

जागरण संवाददाता, कानपुर : ग्राहक को दिए रुपये का सामान मिले और उसके साथ कोई ठगी न हो, इसके लिए राष्ट्र से लेकर जिले स्तर तक तमाम अभियान चलते रहते हैं। सोने के जेवरों की खरीदारी में ग्राहक कम पैसा चुकाने के चक्कर में खुद ही ठगी का शिकार हो जाता है। वह कम सोने के जेवर खरीदता है, जिन्हें दोबारा बेचने पर कई बार 60 फीसद सोना भी नहीं निकलता। ग्राहकों की इसी मानसिकता का लाभ उठा शहर के 99 फीसद दुकानदार हॉलमार्क के जेवर नहीं बेचते क्योंकि ये उन्हें महंगे पड़ेंगे। जेवरों पर हॉलमार्क के लिए शहर में स्थित तीन केंद्रों में बमुश्किल ढाई से तीन दर्जन कारोबारी पहुंच रहे हैं जबकि शहर में तीन हजार से ज्यादा कारोबारी हैं। बाकी बिना हॉलमार्क के जेवर बेच रहे हैं। बिना हॉलमार्क के जेवर बेचने वालों पर फिलहाल कोई कार्रवाई नहीं है लेकिन हॉलमार्क लगे जेवर में सोना कम निकलने पर कारोबारी पर कार्रवाई हो सकती है।

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सिर्फ बड़े दुकानदार आते

हॉलमार्क सेंटरों में अपने जेवरों पर मुहर लगवाने के लिए सिर्फ बड़े दुकानदार आते हैं। हर केंद्र पर कुछ दुकानदार नियमित हैं।

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बमुश्किल निकाल रहे खर्च

हॉलमार्क केंद्र अपना खर्च बमुश्किल निकाल रहे हैं। 35 रुपये एक नग पर खर्च लिया जाता है। इसके अलावा बीआइएस के निर्देश पर तय शैक्षिक योग्यता व अनुभव वाले आधा दर्जन कर्मचारियों को सभी केंद्रों को रखना अनिवार्य है। कार्य हो या न हो, इन्हें हटाया नहीं जा सकता।

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कई बार रिजेक्ट होते हैं जेवर

एक हॉलमार्क केंद्र के संचालक के मुताबिक कई बार मार्किग के लिए भेजे गए जेवर मानक से नीचे के होने की वजह से रिजेक्ट भी हो जाते हैं। हालांकि उनसे 35 रुपये ले लिए जाते हैं।

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इतनी रहती शुद्धता

- 22 कैरेट सोना 91.6 टंच।

- 18 कैरेट सोना 75.0 टंच।

- 14 कैरेट सोना 58.5 टंच।

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एक नजर

- 3,000 से ज्यादा सराफा कारोबारी कानपुर में।

- 03 हॉलमार्क केंद्र हैं शहर में।

- 30 कारोबारी भी नहीं करा रहे हैं हॉलमार्क।

- 35 रुपये एक नग पर हॉलमार्क की कीमत।

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चार जानकारी होतीं

- बीआइएस का ट्रैंगल।

- शुद्धता का निशान।

- जिस ज्वैलर्स ने आभूषण बनाया उसका लाइसेंस नंबर।

- हॉलमार्क करने वाले सेंटर का लाइसेंस नंबर।

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मोहल्ले की बिक्री के चक्कर में सस्ता

छोटे दुकानदार मोहल्ले की दुकानदारी की बात कह हॉलमार्क नहीं कराते हैं। उनका कहना होता है कि अगर हॉलमार्क कराएंगे तो उनका ग्राहक उतना महंगा जेवर नहीं खरीदेगा।

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क्यों महंगा होता जेवर

हॉलमार्क जेवर पर जितनी शुद्धता की मुहर लगी होती है, उससे कम सोना नहीं हो सकता। एक तोला सोने पर बनवाई ही पांच से छह हजार हो जाती है। इससे जेवर की कीमत 35 से 36 हजार हो जाती है। बिना हॉलमार्क जेवर में 50 से 60 फीसद सोना होता है और कीमत पूरे सोने की लेते हैं। दुकानदार इससे हुई बचत में बनवाई, लाभ दोनों ले लेता है और ग्राहक सोचता है कि पहचान के दुकानदार ने उसे सस्ते में जेवर दिए।

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दुकान में अगर मुहर से कम फीसद के जेवर पाए जाएं तो उसके लिए हॉलमार्क केंद्र को दोषी बनाया जाए क्योंकि उसने ही मुहर लगाई है। ऐसा हो तो हॉलमार्क लगवाने वाले दुकानदारों की संख्या बढ़ेगी। बहुत से डर के चलते भी हॉलमार्क नहीं लगवाते।

-नीरज दीक्षित, प्रवक्ता, उत्तर प्रदेश सराफा एसोसिएशन।


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