कन्नौज बस हादसा : सवार थे करीब 65 यात्री, नहीं मिल रहे अल्ला रक्खा के परिवार के पांच सदस्य
अफरा-तफरी के बीच बस के शीशे तोड़कर यात्रियों ने कूदकर बचाई जान।
कन्नौज, जेएनएन। जीटी रोड पर शुक्रवार की रात ट्रक और बस में भिड़ंत के बाद आग लगने से दस से ज्यादा लोगों के जलने की घटना ने सभी को झकझोर दिया। बस में सवार जिंदा बचे यात्री की माने तो करीब करीब 65 लोग थे, जबकि बस सर्विस संचालक 30 से 35 यात्रियों के होने की बात कह रहा है। वहीं जिंदा बचे अल्ला रक्खा को बस में सवार परिवार के पांच लोग नहीं मिल रहे हैं। अस्पताल में भर्ती घायलों में हादसे का मंजर बयां करते ही खौफ साफ नजर आ रहा है और सुनने वाले भी सहम जा रहे हैं।
भगवान के दूत बनकर आए ग्रामीण
जीटी रोड पर ट्रक और स्लीपर बस की भिड़ंत के दौरान ज्यादातर सवारियां सो रहीं थीं। ट्रक से टकराते ही आंख खुली तो खुद को आग से घिरा पाया तो चीख-पुकार मच गई। नौजवान तो शीशे तोड़कर बस से कूदने लगे, लेकिन महिलाओं और बुजुर्गों को कुछ समझ ही नहीं आया। आग लगातार बढ़ती देख तीन महिलाओं ने अपने जिगर के टुकड़ों को बस से नीचे फेंक दिया। झिलोई खास गांव के लोग भगवान के दूत बनकर आए और शीशे तोड़कर 8 से 10 महिला और बुजुर्ग यात्रियों को हाथ पकड़कर बाहर खींच लिया।
सुरेश ने बचाई नौ यात्रियों की जान
प्रत्यक्षदर्शी ग्रामीण सुरेश ने बताया कि जब मैं साथियों के साथ पहुंचा तब तक बस के अगले हिस्से में आग लग चुकी थी। चीख-पुकार के बीच कुछ समझ ही नहीं आ रहा था। पास से ही बल्लियां मिलीं तो उन्हें उठाकर लाए और बस के शीशे तोडऩे शुरू किए। शीशे टूटते ही तीन महिलाओं ने एक-एक कर बाहर फेंका। इसके बाद मदद का हाथ मांगा। साथियों ने हाथ पकड़कर उन्हें बाहर खींचा। ज्यादातर नौजवान बाहर कूद चुके थे और मदद की गुहार लगा रहे बुजुर्गों को खींचकर बाहर निकाला। आठ-दस यात्रियों को ही बाहर निकाल सके थे कि तब तक पूरी बस आग की चपेट में आ गई।
बस में सवार थे 65 से अधिक यात्री
बचाव के दौरान प्रशासन ने 21 लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया है। फर्रुखाबाद के उगरापुर निवासी 45 वर्षीय छम्मी लाल ने बताया कि जयपुर में सिलाई के काम से जा रहे थे। हादसे के वक्त बस में 65 से अधिक लोग सवार थे। जैसे ही ट्रक से टक्कर हुई तो अफरा-तफरी मच गई। चीख -पुकार के के कारण पहले तो समझ ही नहीं आया कि हुआ क्या, जब आग की लपटों से खुद को घिरा पाया तब अहसास हुआ कि बस में आग लगी है। शीशा तोड़कर दूसरे यात्रियों के साथ मैं भी बस से कूदा ही था कि बस आग का गोला बन गई। बस में सवार लोगों को निकलने का मौका तक नहीं मिला।
कुछ मजदूरी तो कुछ जा रहे थे बालाजी के दर्शन को
अस्पताल पहुंचे छिबरामऊ के सौरिख निवासी रामबाबू और ऋतिक ने बताया कि वे लोग बालाजी दर्शन करने के लिए जा रहे थे। वहीं खडिऩी के रूपपुर निवासी शकील ने बताया कि वह जयपुर में बेकरी का काम करते हैं। छुट्टी पर आए थे और वापस जा रहे थे। कन्नौज के लईक अहमद ने बताया कि कारजोब का माल लेकर जयपुर जा रहे थे। हादसे में जिंदा बचे घायलों के चेहरे पर खौफ साफ झलक रहा था।
अल्ला रक्खा के पांच परिजन लापता
गुरसहायगंज गुगरापुर के रहने वाले अल्लारक्खा रात एक बजे घटना स्थल पर भटक रहे थे। वह बार-बार अपने भैया-भाभी व अन्य स्वजनों की तलाश में जुटे थे। उन्होंने बताया कि परिवार के पांच लोग जयपुर जाने के लिए रवाना हुए थे। अस्पताल में देखकर आए हैं वहां उनके बारे में कोई नहीं बता सका। इसीलिए घटनास्थल पर आए ताकि शायद कुछ पता चल सके।
दफ्तर बंद करा कर भागा बस सर्विस संचालक
छिबरामऊ के पास बस के दुर्घटनाग्रस्त होने की जानकारी मिलते ही फर्रुखाबाद स्थित चतुर्वेदी बस सर्विस के प्रधान कार्यालय में अफरा-तफरी मच गई। बस सर्विस संचालक विमल चतुर्वेदी अपने लालगेट स्थित प्रधान कार्यालय में बैठे थे। अन्य कर्मचारी व स्टाफ भी फर्रुखाबाद से दिल्ली व जयपुर मार्गों पर संचालित बसों के बारे में सूचना एकत्र कर रहे थे तभी उन्हें फोन पर स्लीपर बस के दुर्घटनाग्रस्त होने की जानकारी मिली। हादसे के बाद विमल तुरंत कार्यालय से निकलकर सामने खड़ी अपनी कार में बैठकर चले गए। बस सर्विस संचालक विमल चतुर्वेदी ने बताया कि बस में 30-35 सवारियां होने की जानकारी मिली है। सवारियां सुरक्षित उतर गईं लेकिन चालक-परिचालक के बारे में जानकारी नहीं मिल रही है।
ट्रक और बस चालक का नहीं लगा सुराग
ट्रक-बस भिड़ंत के बाद दोनों ही वाहन आग का गोला बन गए। इससे उनके चालक और परिचालकों का पता नहीं चल सका। हादसे में वह कूदकर बच गए हैं या नहीं यह भी साफ नहीं है। स्लीपर बस को फर्रुखाबाद निवासी शोएब चला रहा था। वहीं कानपुर से बेवर की ओर जा रहे ट्रक का चालक और परिचालक कौन था इसकी पुष्टि नहीं हो सकी है।