हैलो, मैं डॉ. आनंद.. 4,000 दो, बिन डोनर मिलेगा ब्लड
जागरण संवाददाता, कानपुर : जीएसवीएम मेडिकल कालेज ब्लड बैंक में जरूरत पर रक्त शायद ही किसी ख्
जागरण संवाददाता, कानपुर :
जीएसवीएम मेडिकल कालेज ब्लड बैंक में जरूरत पर रक्त शायद ही किसी खुशकिस्मत को तुरंत मिला हो, वरना खून के लिए पसीना ही बहाते रहिए। ब्लड बैंक के कर्मचारी रक्त और डोनर होने पर भी टरका देते हैं। मगर, आश्चर्य की बात है कि ब्लड बैंक में फार्म जमा होने के बाद परेशान शख्स को एकाएक फोन आता है। परेशानी हल करने के नाम पर सौदेबाजी शुरू हो जाती है। यही खेल चल रहा है ब्लड बैंक में। एजेंटों काजाल बिछा है। ब्लड बैंक में जमा फार्म की डिटेल इन तक पहुंच जाती है। दैनिक जागरण ने अपनी पड़ताल में एक तीमारदार की मदद से इस धंधे का पर्दाफाश किया। आइए, जानिए कि किस तरह चल रहा है खून का सौदा।
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किदवई नगर निवासी एक मरीज क्रिएटिनिन बढ़ने, हीमोग्लोबिन घटने पर नर्सिग होम में भर्ती है। डॉक्टरों ने किडनी में संक्रमण के कारण डायलिसिस और इसके लिए रक्त की जरूरत बताई। निगेटिव ब्लड ग्रुप के रक्त का इंतजाम करने के लिए उनका पुत्र बुधवार शाम छह बजे जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के ब्लड बैंक पहुंचा। मौजूद कर्मचारियों ने कहा, अभी इस ग्रुप का ब्लड टेस्टेड नहीं है। इंतजार करें। रात नौ बजे कर्मचारियों ने उनका फार्म वापस करते हुए कहा, एचआइवी जांच किट खत्म हो गई है, रक्त नहीं मिल पाएगा, गुरुवार सुबह 11 बजे आना। तीमारदार सुबह 11 बजे ब्लड बैंक पहुंचा तो कहा गया कि अभी तक टेस्टिंग नहीं हो पाई है, इंतजार करें। इस बीच उनके मोबाइल नंबर पर कॉल आई। फोन करने वाले शख्स ने खुद को डॉक्टर आनंद बताया। बोला, चार हजार रुपये में रक्त का इंतजाम हो जाएगा, डोनर की भी जरूरत नहीं। बातचीत में वह बताता है कि कीमत चुकाने के बाद किस तरह रक्त मिल जाएगा। यह भी बताता है कि वह एलएलआर अस्पताल (हैलट) में ही बैठता है, वहां पर मरीज देखता है। हालांकि, अस्पताल प्रशासन के अनुसार डॉ. आनंद नाम का कोई शख्स है ही नहीं।
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फोन पर बातचीत के अंश
एजेंट : हैलो.. मैं हैलट से बोल रहा हूं। चार हजार में आपको ओ निगेटिव ब्लड बिना डोनर मिल जाएगा।
तीमारदार : चार हजार ज्यादा नहीं हैं।
एजेंट : ओ निगेटिव है। नर्सिग होम वाले 5-6 हजार रुपये लेते हैं। आपके लिए बहुत कम बताया है। तीन-चार सौ रुपये कम दे देना।
तीमारदार : कैसे मिलेगा ब्लड।
एजेंट : पहले निर्णय कर लो, कब लेना है। उसके हिसाब से ब्लीड कराएंगे।
तीमारदार : कहां मिलेगा।
एजेंट : सर्वोदय नगर के आसपास ही।
तीमारदार : आप का नाम, कहां बैठते हैं।
एजेंट : मेरा नाम डॉ. आनंद बिन है। मैं हैलट में ब्लड बैंक की नई बिल्डिंग में ही बैठता हूं।
तीमारदार : पहले निजी अस्पताल का नाम बताया था।
एजेंट : बैठता हैलट में ही हूं, वहां मरीज देखने जाता रहता हूं।
तीमारदार : कितने पैसे लेकर आएं।
एजेंट : 3700 रुपये लेकर आओ।
तीमारदार : कहां मिलेगा।
एजेंट : नर्सिग होम से निजी ब्लड बैंक का रिफरेंस बनवा लो।
तीमारदार : किससे मिलेंगे।
एजेंट : वहां जाकर शुक्ला जी से मिल लेना। कहना- डॉ. आनंद ने भेजा है।
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बोले जिम्मेदार
मेरे यहां डॉ. आनंद नाम का न ही कोई कंसल्टेंट और न ही मेडिकल आफीसर या रेजीडेंट। यह कोई संदिग्ध व्यक्ति है। नई भवन में ब्लड बैंक शिफ्ट होने के बाद से गड़बड़ी की शिकायतें मिल रही हैं। डोनर का नंबर उस तक कैसे पहुंचा, इसकी जांच कराएंगे।
- डॉ. लूबना खान, प्रभारी, ब्लड बैंक।