पहले दिन 25 नामांकन प्रपत्रों की हुई बिक्री
कानपुर उद्योग व्यापार मंडल की नई कार्यकारिणी वर्ष 2018-21 की चुनाव प्रक्रिया सोमवार से शुरू हो गई।
जागरण संवाददाता, कानपुर : कानपुर उद्योग व्यापार मंडल की नई कार्यकारिणी वर्ष 2018-21 की चुनाव प्रक्रिया सोमवार से शुरू हो गई। पहले दिन 33 पदों के लिए 25 नामांकन प्रपत्रों की बिक्री हुई। दूसरे दिन मंगलवार दोपहर 2 से शाम 5 बजे तक नामांकन प्रपत्रों की बिक्री होगी। उसके बाद उम्मीदवार अपना नामांकन 12 दिसंबर यानी बुधवार से कराएंगे। नामांकन प्रपत्र स्वीकार करने की अंतिम तिथि 13 दिसंबर होगी।
मुख्य चुनाव अधिकारी केके द्विवेदी एवं चुनाव संयोजक मणिकांत जैन ने बताया कि पहले दिन विभिन्न पदों के लिए 25 फार्मो की बिक्री हुई है। नामांकन 12-13 दिसंबर तक स्वीकार किए जाएंगे। उसके बाद 14 दिसंबर को नामांकन प्रपत्रों की जांच की जाएगी। उम्मीदवार अपने नाम 15 दिसंबर तक वापस ले सकें। नई कार्यकारिणी के लिए मतदान 22 दिसंबर को होगा।
इनसेट
अभी तक जारी नहीं हुई वोटर लिस्ट
कानपुर उद्योग व्यापार मंडल के चुनाव की प्रकिया शुरू हो गई है। इसके बावजूद मंगलवार शाम तक वोटर लिस्ट जारी नहीं हुई। वोटर लिस्ट 9 दिसंबर को ही जारी होनी चाहिए थी। इससे वजह से व्यापारियों में ऊहापोह की स्थिति है। वहीं पुरानी वोटर लिस्ट में 110 संस्थाएं एवं 190 व्यक्तिगत सदस्य हैं।
अध्यक्षी के लिए एक नाम पर राय बनाने की जुगत
व्यापार मंडल चुनाव की प्रक्रिया तो सोमवार को शुरू होने जा रही है लेकिन एक बार फिर अध्यक्ष पद पर किसी एक नाम पर राय बनाने की तैयारी चल रही है। इसके लिए कई नामों पर चर्चा हो रही है। इसमें कुछ ऐसे व्यापार मंडल के नेताओं के नाम भी हैं जिन्होंने अभी सदस्यता तक नहीं ली है। व्यापारी नेताओं ने तो यहां तक तैयारी कर रखी है कि अगर लोग चुनाव कराने पर ज्यादा अड़े तो प्रदेश उपाध्यक्ष मुकुंद मिश्रा तक का नाम जिलाध्यक्ष के लिए आगे कर दिया जाए।
व्यापार मंडल चुनाव में तमाम नए नेता चुनाव की तैयारी कर रहे हैं। दूसरी ओर पुराने नेता पदाधिकारी तो बनना चाहते हैं लेकिन वे चुनाव नहीं चाहते। इसलिए इन नेताओं के ज्यादातर समर्थकों ने मनोनयन के आधार पर ही फिर से चुनाव कराने की तैयारी करनी शुरू कर दी है और उसके लिए माहौल भी बनाना शुरू कर दिया है।
इसके तहत सबसे बड़ा मुद्दा यह उठाया जा रहा है कि अगर चुनाव से अध्यक्ष व अन्य पदाधिकारी बने तो संगठन पर बड़े नेताओं का दबाव खत्म हो जाएगा। खासतौर पर संगठन श्याम बिहारी मिश्रा के हाथों से निकल जाएगा। इस चुनावी प्रक्रिया शुरू होने के बाद भी अधिकांश व्यापारी नेताओं को विश्वास है कि चुनाव नहीं होगा। उनका कहना है कि पिछले चुनावों में भी यही स्थिति हुई। नामांकन प्रक्रिया भी हुई लेकिन मतदान की जगह मनोनयन से पदाधिकारी बना दिए गए और ऐसा ही एक बार फिर होगा।