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#Good News: कानपुर के हैलट अस्पताल में अब पल में गायब हो जाएंगे मस्सा और तिल

Health Care Tips कानपुर में जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के अस्पताल में चर्म रोग विभाग में मस्सा और तिल की सर्जरी करने वाली मशीनें आने वाली हैं। इसके लिए चिकित्सा शिक्षा महानिदेशालय से प्रस्ताव को सैद्धांतिक मंजूरी मिल चुकी है और अब अलग कमरे की तलाश जारी है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Mon, 25 Jan 2021 09:48 AM (IST)Updated: Mon, 25 Jan 2021 09:48 AM (IST)
#Good News: कानपुर के हैलट अस्पताल में अब पल में गायब हो जाएंगे मस्सा और तिल
कानपुर जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में इलाज संभव होगा।

कानपुर, जेएनएन। हैलट अस्पताल के चर्म रोग विभाग में जल्द ही मस्से और तिल की सर्जरी के लिए अत्याधुनिक मशीन आने वाली हैं। इनसे छोटी सी सर्जरी कुछ ही मिनटों में हो जाएगी। विभाग की ओर से प्रस्ताव बनाकर चिकित्सा शिक्षा महानिदेशालय को भेजा गया था, जिसको सैद्धांतिक मंजूरी मिल चुकी है। विभाग को अपग्रेड करने की तैयारी शुरू हो गई है। सर्जरी के लिए अलग कमरा देखा जा रहा है। 

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मेडिसिन के बाद सबसे ज्यादा मरीज चर्म रोग विभाग में आते हैं। इसमें दाद, खाज, खुजली, दाने, बाल झडऩा, त्वचा का सिकुडऩा, काली पडऩा समेत अन्य समस्याएं शामिल हैं। करीब 300 से अधिक की ओपीडी में 20 से 25 केस तिल, मस्से आदि के आते हैं। मौजूदा समय में डॉक्टर दवाएं, एंटीबायोटिक, मल्टी विटामिन और कई तरह के लोशन लिखते हैं। इनका असर पड़ता है, लेकिन कई ऐसे केस भी आते हैं, जिसके लिए माइनर सर्जरी की जरूरत पड़ती है।

यह सर्जरी 10 से 20 मिनट की होती है, जिसके लिए बाहर दो से चार हजार रुपये तक खर्च करने पड़ते हैं। हैलट अस्पताल में यह कुछ ही रुपयों में आसानी से हो जाएगी। विभाग के नोडल अधिकारी डॉ. डीपी शिवहरे ने बताया कि कॉटरी और अन्य तरह का प्रस्ताव भेजा गया है। कुछ अन्य कंपनियों से बातचीत चल रही है। विभाग को अपग्रेड करने की तैयारी है, जिससे रोगियों को अधिक से अधिक सहूलियतें मिल सकें।

दो नए डॉक्टर आए

चर्म रोग विभाग में स्थाई डॉक्टरों के तीन पद होने से दो नए डॉक्टर आ गए हैं। उन्होंने ज्वाइन भी कर लिया है। इनमें डॉ. युगल राजपूत और डॉ. श्वेतांक शामिल हैं।

क्या होती हैं समस्याएं

डॉ. शिवहरे ने बताया कि कुछ मस्से अपने आप निकल आते हैं, जबकि कुछ ह्यूमन पैपिलोमा वायरस की वजह से एक व्यक्ति से दूसरे में फैलते हैं। इसमें मस्से का आकार बढ़ता जाता है। कुछ लोगों को अधिक तिल होने की समस्या रहती है।


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