Kanpur Weather News Update: सुबह और शाम के समय रहेगा कोहरा, मौसम विभाग के अनुसार- दो दिन और पड़ेगी सर्दी
सुबह-शाम पड़ेगा कोहरा। शुक्रवार को अधिकतम तापमान 20.8 व न्यूनतम 5.2 डिग्री सेल्सियस रहा। मौसमी सिस्टम न बनने से पारा लुढ़कता जा रहा है और गलन बढ़ती जा रही है। लोग अब हीटर ब्लोअर और आग के पास से हट नहीं पा रहे हैं।
कानपुर, जेएनएन। हवा की रफ्तार कम होते ही तापमान बढ़ गया है। अगले दो-तीन दिन तक मौसम के इसी तरह रहने की संभावना है। सुबह व शाम के समय कोहरा पड़ेगा, जबकि दोपहर में धूप निकलेगी। शुक्रवार को अधिकतम तापमान 20.8 और न्यूनतम 5.2 डिग्री सेल्सियस रहा। गुरुवार को अधिकतम तापमान 19.4 और न्यूनतम 4.8 डिग्री सेल्सियस था। हवा एक किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चली, जबकि एक दिन पहले तीन किमी प्रति घंटे रिकार्ड हुई थी।
चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विवि के मौसम विज्ञानी डॉ. एसएन सुनील पांडेय ने बताया कि अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में चक्रवाती हवा के क्षेत्र बन रहे हैं, जिससे हवा की रफ्तार कुछ प्रभावित हुई है। वातावरण में अधिकतम आद्र्रता 94 फीसद है। गुरुवार को जहां हवा की दिशा उत्तर पश्चिम थी, वहीं शुक्रवार को दक्षिण पश्चिम हो गई। दो से तीन दिन तक इसी तरह मौसम बना रहेगा। सुबह विजिबिलिटी करीब 1100 मीटर थी।
फसलों में रोग लगने की आशंका
ज्यादा सर्दी पडऩे से फसलों में कीट और रोग लगने की आशंका है। कृषि विज्ञानी इसके लिए एडवाइजरी जारी कर चुके हैं।
- गेहूं में चौड़ी और संकरी पत्ती वाले खरपतवार निकल आते हैं। इसमें गुल्ली डंडा, जंगली जई, मटरी, चटरी, बथुआ, कृष्णनील, मकोय शामिल हैं।
- सरसों में माहू कीट के प्रकोप की आशंका रहती है। यह सामान्य रसायनों के छिड़काव से दूर हो जाते हैं।
- आलू की फसल में कम तापमान की वजह से अगैती या पिछैती झुलसा रोग का प्रकोप होता है, जिससे पत्तियों पर भूरे एवं काले रंग के धब्बे बन जाते हैं।
- चने की फसल में कटवर्म कीट के हमले की आशंका रहती है।
- मटर की फसल में तना मक्खी और पत्ती सुरंगक कीट का हमला होता है।
- आम के बागों में भुनगा और लस्सी कीट के प्रकोप होने का आसार है।
ऐसे करें कीट और रोगों से बचाव
गेहूं : सकरी पत्ती वाले खरपतवारों जैसे गुल्ली डंडा, जंगली जई के नियंत्रण के लिए सल्फोसल्फयूरा, चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों के लिए सल्फयूरान मिथाइल को पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें।
सरसों : कीट का प्रकोप अधिक होने पर एजाडिरेक्टिन (नीम ऑयल), डाईमथोएट और आक्सी डिमेटान मिथाइल रसायनों में से किसी एक को प्रति हेक्टेयर की दर से 500-600 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
आलू : अगैती व पिछैती झुलसा रोग होने पर कॉपर आक्सीक्लोराइड, मैंकोजेब, जिनेद को निर्धारित मात्रा में पानी में घोल कर प्रति हेक्टेयर की दर से खेतों में छिड़कें।
चना : कटवर्म की आशंका पर क्लोरपाइरीफोस और साइपरमेथ्रिन को निर्धारित मात्रा में पानी में मिलाकर छिड़काव करें।