महोबा में दुष्कर्म के मामले में वन विभाग के वाचर को उम्रकैद, जुर्माना न देने पर बढ़ेगी सजा की अवधि
किसी तरह घर पहुंची महिला ने पति को इसकी जानकारी दी। पति थाने में रिपोर्ट दर्ज कराने जा रहा था तभी दोषी ने उसे रास्ते में रोक लिया और जान से मारने की धमकी दी। इसके बाद 23 सितंबर 2008 को वाचर अरुण मिश्रा के खिलाफ दुष्कर्म का मामला दर्ज
कानपुर, जेएनएन। वर्ष 2008 में हुए दुष्कर्म के एक मामले में न्यायालय ने दोषी वन विभाग के वाचर को आजीवन कारावास व 20 हजार के जुर्माने की सजा सुनाई है। अर्थदंड की अदायगी न करने पर अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी।
विशेष लोक अभियोजक प्रमोद पालीवाल ने बताया कि जिले के गांव में वाचर द्वारा पौधारोपण का कार्य कराया जा रहा था। इसमें गांव के ही दंपती समेत अन्य लोग भी काम कर रहे थे। 19 सितंबर 2008 को पौधारोपण का कार्य कर रहे सभी लोग चले गए, लेकिन वाचर ने एक महिला को रोक लिया। इसके बाद वाचर ने महिला से दुष्कर्म किया। किसी तरह घर पहुंची महिला ने पति को इसकी जानकारी दी। पति थाने में रिपोर्ट दर्ज कराने जा रहा था तभी दोषी ने उसे रास्ते में रोक लिया और जान से मारने की धमकी दी। इसके बाद 23 सितंबर 2008 को वाचर अरुण मिश्रा के खिलाफ दुष्कर्म का मामला दर्ज हुआ।
हालांकि, मामले के विवेचक द्वारा यह मामला धारा 497 (सहमति से संबंध बनाना) में दिखाकर आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल किया। इसके बाद न्यायालय में गवाही और बहस के बाद मामला दुष्कर्म का ही साबित हुआ। सुनवाई के बाद अपर सत्र न्यायाधीश द्वितीय संतोष कुमार मौर्य ने अपना फैसला सुनाया। विशेष लोक अभियोजक प्रमोद पालीवाल ने बताया कि अभियुक्त अरुण मिश्रा पुत्र सेवक मिश्रा निवासी रिखवाहा कुलपहाड़ को आजीवन कारावास 20 हजार के जुर्माना की सजा सुनाई गई है। जुर्माने की अदायगी न करने पर दो माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।