शासन की टीम भी चकित, कानपुर में गंभीर बीमारियों से ग्रसित मरीज भी दे रहे कोरोना को मात
हैलट में भर्ती 1006 संक्रमितों में 550 कोरोना मरीज डिस्चार्ज हुए हैं जिसमें गंभीर बीमारियों से ग्रसित 102 बुजुर्ग भी शामिल हैं।
कानपुर, जेएनएन। कोरोना के तेजी से बढ़ते मामलों व उससे हो रहीं मौतों के विशाल आंकड़ों के बीच राहत भरी खबर है। हैलट के कोविड-19 हॉस्पिटल में गंभीर बीमारियों से पीडि़त एवं बुजुर्ग कोरोना को हराने में भी कामयाब हुए हैं। इसमें मधुमेह (शुगर), ब्लड प्रेशर (बीपी), किडनी और लिवर की बीमारियों से पीडि़त मरीज भी हैं, जबकि ऐसे संक्रमितों को हाई रिस्क कटेगरी में रखा जाता है। इन आंकड़ों को देखकर शासन की टीम भी चकित है।
हैलट अस्पताल के न्यूरो साइंस सेंटर व मेटरनिटी विंग के कोविड-19 हॉस्पिटल में 1006 कोविड संक्रमित मरीज भर्ती हुए जिसमें से 550 लोग स्वस्थ होने के बाद डिस्चार्ज किए गए। इसमें 102 बुजुर्ग मरीज हैं जिनकी उम्र 60 वर्ष से लेकर 85 वर्ष के बीच है। इन्हें कोरोना के संक्रमण के साथ दूसरी गंभीर बीमारियां भी थीं। कोविड आइसीयू में हो रहीं मौतों की जांच करने के लिए गुरुवार से शासन की दो सदस्यीय टीम जांच एवं मॉनीटरिंग करने के लिए सात दिन यहां रुकी है।
जब जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने इन आंकड़ों को शासन की टीम के समक्ष रखा तो टीम भी आश्चर्य में पड़ गई। टीम में लखनऊ के किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमूय) के क्रिटिकल केयर विशेषज्ञ डॉ. सुहेल सिद्दीकी और संजय गांधी स्तनाकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआइ) की रेस्पिरेट्री मेडिसिन एवं पल्मोनरी विशेषज्ञ डॉ. मानसी गुप्ता ने स्वीकार किया कि यहां मरीजों का लोड अधिक है। उसके हिसाब से न मैन पावर और न ही सुविधाएं-संसाधन हैं। विलंब से मरीजों के आने से ही मौतें हो रही हैं।
- पहले मरीज कम थे, जिससे डॉक्टरों की टीमें ज्यादा समय देकर मरीजों का इलाज करतीं थीं। कोरोना मरीजों के इलाज के साथ मधुमेह, हाइपरटेंशन, किडनी व लिवर के इलाज की पूरी मॉनीटरिंग होती थी। इस वजह से मरीजों की रिकवरी तेजी से होती थी। मार्च से डॉक्टर लगे हैं, जो तीन-चार बार कोविड ड्यूटी कर चुके हैं जिससे अब वह थकने लगे हैं। उनका क्वारंटाइन समय भी खत्म हो गया है। -प्रो. रिचा गिरि, उप प्राचार्य एवं प्रमुख अधीक्षक, हैलट अस्पताल।