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गंगा में दिखने लगा लॉकडाउन का असर, जल हुआ निर्मल, घुलित ऑक्सीजन भी बढ़ी

काला-भूरापन हुआ कम अब हल्के पीले रंग का पानी पंङ्क्षपग स्टेशन पर जलशोधन करने का खर्च घटकर रह गया आधा।

By AbhishekEdited By: Published: Mon, 06 Apr 2020 11:36 PM (IST)Updated: Tue, 07 Apr 2020 08:39 AM (IST)
गंगा में दिखने लगा लॉकडाउन का असर, जल हुआ निर्मल, घुलित ऑक्सीजन भी बढ़ी
गंगा में दिखने लगा लॉकडाउन का असर, जल हुआ निर्मल, घुलित ऑक्सीजन भी बढ़ी

कानपुर, जेएनएन। लॉकडाउन भले कोरोना से निपटने के लिए लागू हुआ है, मगर इसका सबसे जबरदस्त असर प्रकृति-पर्यावरण पर नजर आ रहा है। कानपुर में सबसे अधिक प्रदूषण का सामना करने वाली आस्था और संस्कृति की धारा गंगा इन दिनों अलग ही सुखद स्वरूप में दिख रही हैं। पतित पावनी का प्रदूषण कम करने के लिए जहां अरबों रुपये खर्च कर कई योजनाओं और नियम-निर्देशों का पूर्णतया सफल परिणाम नहीं दिखा, वहां लॉकडाउन के 14 दिन में अपने आप कायाकल्प हो गया। फैक्ट्रियां और टेनरियां बंद होने से गंगा में प्रदूषण कम हुआ है। गंगाजल में काला व भूरापन कम हुआ है। घुलित ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ी है। जलकल विभाग का जलशोधन में खर्च घटकर आधा रह गया है।

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पानी में नाइट्रेट की मात्रा भी घटी

लॉकडाउन के बाद इन दिनों में गंगा में काला या भूरापन घट गया है। 22 मार्च से पहले यह 35 हैजेन तक पहुंच गया था जो अब करीब 15 पर आ गया है। गंंगाजल का रंग हल्का पीला हो गया है। पानी में नाइट्रेट की मात्रा भी घटी है। भैरोघाट पंङ्क्षपग स्टेशन से रोज जलकल विभाग जलापूॢत के लिए 20 करोड़ लीटर कच्चा पानी लेता है। अब इस पानी को शोधित करने में विभाग को कम केमिकल इस्तेमाल करना पड़ रहा है।

यह पड़ा अंतर

-लॉकडाउन से पहले जल शोधन करने के लिए सात से आठ टन फिटकरी खर्च हो रही थी। अब चार टन की ही जरूरत रह गई हैं। पहले क्लोरीन 12 सौ किलोग्राम तक खर्च करनी पड़ रही थी। अब सात सौ किलोग्राम की जरूरत रह गई है।

-घुलित ऑक्सीजन पहले पांच मिलीग्राम प्रति लीटर थी। (जरूरत चार मिलीग्राम प्रति लीटर होती है)। अब यह सात मिलीग्राम प्रति लीटर हो गई है।

इनका ये है कहना

लॉकडाउन के बाद गंगा साफ हुई हैं। इससे जल ट्रीट करने में केमिकल का खर्च आधा रह गया है।- आरबी राजपूत, सचिव जलकल विभाग  


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