चिकित्सकों का कमाल, शेरू की आंखों में लौटी रोशनी, सोहन का लकवा छूमंतर Kanpur News
कानपुर चिड़ियाघर के चिकित्सकों ने 50 से अधिक पेचीदा मामले निपटाए हैं।
कानपुर, [विक्सन सिक्रोड़िया]। यह दो केस महज बानगी भर हैं। असल में कानपुर चिड़ियाघर के चिकित्सकों ने 50 से अधिक पेचीदा मामले निपटाए हैं। डॉ. आरके सिंह, डॉ. यूसी श्रीवास्तव, मो. नासिर व बायोलॉजिस्ट आइपी यादव की टीम ने इस साल 150 वन्य जीवों का इलाज कर नई जिंदगी दी है।
चिड़ियाघर की ओर से से ये आंकड़े जारी किए गए हैं। इनमें तमाम जानवर ऐसे थे जिन्हें बिजनौर, मुरादाबाद, पीलीभीत व दुधवा से लाया गया था। चिकित्सक डॉ. आरके सिंह ने बताया कि चिकित्सालय में ऑपरेशन, अल्ट्रासाउंड मशीन, इनडोर वार्ड आदि की सुविधा है। फिलहाल यहां रेस्क्यू सेंटर नहीं है, लेकिन उसके उपकरण मौजूद हैं। सेंटर बनने के बाद जानवरों को और बेहतर इलाज दिया जा सकता है।
उदाहरण-1 : छह माह का तेंदुआ शेरू कानपुर चिड़ियाघर लाया गया। उसके शरीर पर चोटों के निशान थे। आंखों से दिख नहीं रहा था। चिकित्सकों ने दस माह तक इलाज किया। अब शेरू की आंखों की रोशनी 80 फीसद तक वापस आ गई है।
उदाहरण-2 : नौ साल के सोहन तेंदुए को दस माह पहले लकवा मार गया था। 15 दिन तक कुछ न खा पाने के कारण उसकी खाल सफेद पड़ गई थी। चार माह तक उसका इलाज चला। अब वह पूरी तरह स्वस्थ है।
आंकड़ों चिड़ियाघर
-देश भर में चौथा व यूपी एवं उत्तराखंड का सबसे बड़ा चिड़ियाघर।
- 4 फरवरी 1974 को एक ऊदबिलाव के साथ हुई थी शुरुआत।
-वर्तमान में दर्शकों के लिए 123 प्रजातियों के 1487 वन्य जीव हैं यहां।
-76.52 हेक्टेयर जमीन पर है निर्मित, 34 हेक्टेयर में है जंगल सफारी।