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नेपाल में आइएसआइ की जड़ें मजबूत करने के लिए वहीं बसने वाला था आतंकी जलीस Kanpur News

आतंकी शमशुल होदा को भी जलीस ने बताया था बम बनाने का तरीका पुखरायां रेल हादसे का साजिशकर्ता शमशुल नेपाल की जेल में है बंद।

By AbhishekEdited By: Published: Tue, 21 Jan 2020 11:58 PM (IST)Updated: Wed, 22 Jan 2020 09:17 AM (IST)
नेपाल में आइएसआइ की जड़ें मजबूत करने के लिए वहीं बसने वाला था आतंकी जलीस Kanpur News
नेपाल में आइएसआइ की जड़ें मजबूत करने के लिए वहीं बसने वाला था आतंकी जलीस Kanpur News

कानपुर, जेएनएन। कभी नेपाल में मिर्जा दिलशाद बेग का दाहिना हाथ रहा खुर्शीद आलम मुंबई सीरियल ब्लास्ट से पूर्व जलीस के साथ रेलबाजार में आकर रुका था। यह जानकारी भी जलीस ने एसटीएफ को दी है। पुखरायां रेल हादसे में वांछित रहा आतंकी शमशुल होदा नेपाल की बीरगंज जेल में बंद है, इसलिए अब जलीस नेपाल में आइएसआइ की जड़ें मजबूत करने की कोशिश में था। इसके लिए वह वहीं पर बसने की फिराक में था।

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खुर्शीद की मौत के बाद शमशुल ने संभाली थी कमान

मिर्जा दिलशाद बेग की हत्या के बाद खुर्शीद आलम नेपाल में आइएसआइ का एजेंट था। वह बोर्डिंग स्कूल भी चलाता था। खुर्शीद की हत्या के बाद शमशुल होदा ने नेपाल में आइएसआइ की कमान संभाली। नवंबर 2016 में पुखरायां ट्रेन हादसे की जांच के दौरान शमशुल का नाम सामने आया था। बिहार पुलिस ने तीन आरोपितों को गिरफ्तार कर दावा किया था कि ट्रेन हादसा नहीं आतंकी घटना थी और शमशुल होदा ने साजिश रची थी। शमशुल को जलीस ने ही बम बनाने की तकनीक सिखाई थी।

रेल पटरी पर मिले बम से जोड़ा था कनेक्शन

बिहार पुलिस ने पूर्वी चंपारण के घोड़ासहन क्षेत्र में रेल पटरी पर मिले बम की जांच के बाद मोती पासवान, उमाशंकर व मुकेश को पकड़ा तो सभी ने पूछताछ में पुखरायां रेल हादसे को आतंकी घटना बताया था। बताया था कि शमशुल होदा ने नेपाल के अपराधी ब्रजकिशोर गिरी के जरिए रेल पटरियों पर बम लगवाया था। इसी वजह से इंदौर-पटना एक्सप्रेस दुर्घटनाग्र्रस्त हुई। इस हादसे में 153 यात्रियों की मौत हो गई थी, जबकि 200 से ज्यादा लोग घायल हुए थे।

आतंकी जलीस के रिश्तेदारों की तलाश

संतकबीरनगर में एटीएस व एसटीएफ जलीस के पुराने रिश्तेदारों को भी ढूंढ़ रही है। सूत्रों के मुताबिक जलीस के पिता संतकबीरनगर में ही रहते थे। बाद में मुंबई जाकर टेलङ्क्षरग का काम करने लगे। कुछ समय बाद उन्होंने परिवार को भी मुंबई बुला लिया। तमाम रिश्तेदार आज भी उसी मोहल्ले में रहते हैं। 


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