अब पहले से हल्का व सुरक्षित होगा गोले ले जाने वाला बॉक्स, डेढ़ टन अधिक किए जा सकेंगे पैक Kanpur News
आइआइटी ने पॉली एथिलीन मटेरियल का बनाया है पैकिंग स्ट्रक्चर कराया जा रहा पेटेंट।
कानपुर, [विक्सन सिक्रोडिय़ा]। तोप के खाली गोलों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने वाला बॉक्स अब इतना हल्का होगा कि उसमें डेढ़ टन गोले अधिक पैक किए जा सकेंगे। आइआइटी ने पॉली एथिलीन मटेरियल का एक ऐसा पैकिंग स्ट्रक्चर बनाया है जिससे न केवल अधिक सामग्री ले जाई जा सकेगी, बल्कि उन्हें ले जाना भी सुरक्षित होगा। गोले बनाने वाली कंपनियों को जल्द ही इसका लाभ मिलने लगेगा।
अभी गोलों को भरने के लिए भेजे जाते हैं स्टील के बॉक्स
अभी स्टील के बॉक्स में खाली गोलों को भरने के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजा जाता है। एक बॉक्स में 30-30 किलो के दो गोले रखे जा सकते हैं, जबकि एक ट्रक में इन गोलों का सात टन वजन आता है। ऐसे में तीन टन वजन के स्टील के बॉक्स में चार टन के खाली गोले रखे जा सकते हैं। आइआइटी के मटेरियल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर नचिकेता तिवारी, डिजाइन के प्रोफेसर गिरिजेश माथुर, मैकेनिकल इंजीनियरिंग के प्रो. बिशाख भट्टाचार्या, प्रो. जे. रामकुमार, गणित विभाग के शिव्यांश टंडन व बायोसाइंस एंड बायो इंजीनियरिंग विभाग के चेतन लोधी ने दो साल शोध के बाद पॉली एथिलीन मटेरियल का ऐसा पैकिंग बॉक्स बनाया है जिसमें साढ़े पांच टन वजन के खाली गोले रखे जा सकते हैं।
पैकिंग का वजन होगा महज डेढ़ टन
इसकी पैकिंग का वजन तीन टन की बजाय महज डेढ़ टन यानी आधा होगा। प्रो. गिरिजेश माथुर ने बताया कि अधिक गोले ले जाने की क्षमता के चलते जो काम तीन ट्रक से लिया जाता था, उस काम के लिए दो ट्रक ही पर्याप्त होंगे। स्ट्रक्चर को इस तरह डिजाइन किया गया है कि पॉली एथिलीन प्लास्टिक मटेरियल का होने के बाद भी इस पर गोलों का वजन भी नहीं पड़ेगा। वह अपना वजन अपने ऊपर ही ले लेता है। जिस प्रकार एक स्थान से दूसरे स्थान तक कोल्ड ड्रिंक की बोतल एक के ऊपर एक रखकर भेजी जाती हैं, उसी तरह खाली के अलावा भरे गोले भी रखे जाएंगे। आइआइटी ने इसका पेटेंट करा लिया है।