आयरन की कमी से बच्चों में बढ़ रहा गुस्सा व चिड़चिड़ापन, दूसरे तत्वों की कमी से और भी हैं समस्याएं Kanpur News
बाल रोग अकादमी मेडिसिन और बाल रोग विभाग द्वारा आयोजित न्यूरोअपडेट की कार्यशाला में विशेषज्ञों ने दी जानकारी।
कानपुर, जेएनएन। अभिभावक अपने शिशुओं को प्रोटीन, कार्बोहाईड्रेट व फैट युक्त आहार देते हैं, जिससे उनका शारीरिक विकास होता है। वहीं दूसरी ओर जिंक, आयरन, कैल्शियम और विटामिन की कमी से मानसिक विकास प्रभावित हो जाता है। ये जानकारी केजीएमयू लखनऊ की प्रो. रश्मि कुमार ने दी। वह शनिवार को बाल रोग अकादमी, मेडिसिन और बाल रोग विभाग की ओर से मेडिसिन हॉल में आयोजित न्यूरोअपडेट की कार्यशाला में बोल रहीं थी।
पीजीआइ चंडीगढ़ के डॉ. लोकेश सैनी ने बताया कि आयरन की कमी से बच्चों में गुस्सा, चिड़चिड़ापन की आदत हो जाती है। वह सांस रोककर रोते हैं। भारत में छह से 23 महीने के बच्चों में सब से अधिक 49.5 फीसद आयरन की कमी पाई गई है। एम्स के डॉ. प्रशांत जौहरी के मुताबिक पोलियो एक संक्रामक रोग है जो मुख्यत: छोटे बच्चों में होता है। उन्होंने बताया कि मिर्गी का सही इलाज न होने पर तीन से पांच साल में यह बीमारी उभर सकती है। ऐसे रोगियों की बराबर जांच जरूरी है।
पुणे से आए डॉ. विशाल सोंधी ने बताया कि बच्चों में मूवमेंट डिसऑर्डर काफी बढ़ गया है। वह या तो बहुत अधिक क्रियाशील रहता है या एकदम कम। डॉ. जेएन गोस्वामी, डॉ. राहुल जैन, डॉ. विश्वरूप ने व्याख्यान दिए। इससे पूर्व कांफ्रेंस का उद्घाटन आइआइटी कानपुर के निदेशक प्रो. अभय करंदीकर ने किया। डॉ. एमएम मैथानी, डॉ. वीएन त्रिपाठी, डॉ. आरएन चौरसिया, डॉ. ओपी पाठक, डॉ. आशीष विश्वास आदि उपस्थित रहे।
आइआइटी और बालरोग मिलकर करेंगे काम
बाल रोग विभागाध्यक्ष प्रो. यशवंत राव के मुताबिक आइआइटी निदेशक ने बाल रोग अकादमी और मेडिकल कॉलेज के अन्य विभागों संग शोध करने की बात कही है। जल्द ही मेडिकल कॉलेज और संस्थानों के बीच करार होगा।