सौर ऊर्जा से दूर होगा पानी का खारापन और फ्लोराइड, मिलेगा शुद्ध पेयजल Kanpur News
एचबीटीयू के छात्र ने पानी शुद्ध करने का तैयार किया छोटा प्लांट एक दिन में आठ लीटर पानी करेगा साफ।
By Edited By: Published: Fri, 23 Aug 2019 01:41 AM (IST)Updated: Fri, 23 Aug 2019 11:42 AM (IST)
कानपुर, [विक्सन सिक्रोडिय़ा]। यदि आपके घर के आसपास भूगर्भ जल फ्लोराइड युक्त और पीने में खारा है तो फिक्र न करें। सूर्यदेव पानी के ये दोष दूर कर देंगे और आपको साफ-सुथरा पेयजल मिलेगा। हरकोर्ट बटलर प्राविधिक विश्वविद्यालय (एचबीटीयू) के पर्यावरण इंजीनियरिंग से एमटेक अंतिम वर्ष के छात्र कृष्ण प्रताप ने सौरऊर्जा से पानी शुद्ध करने का देसी तरीका खोज निकाला है।
उन्होंने स्लोबदार लकड़ी के फे्रम, गैलवेनाइज्ड आयरन (जीआइ शीट), थर्माकॉल व कांच के शीशे से एक ऐसा सेटअप तैयार किया है जो धूप की गर्माहट से फ्लोराइड, खारापन व क्लोराइड खत्म करके वाष्पीकरण से एक दिन में आठ लीटर पानी को शुद्ध कर सकता है। उन्होंने अमेरिकन सोसाइटी ऑफ केमिकल में अपना शोध पत्र भेजा है। सिविल इंजीनियरिंग विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ.दीपेश सिंह के दिशा-निर्देशन में कृष्णप्रताप ने यह शोध कर छोटा प्लांट बनाया। उन्होंने बताया कि सबसे पहले जीआइ शीट में पानी भरा जाता है। इस शीट में एक्टिवेटेड चारकोल रहता है जो पानी से हानिकारक तत्वों को खींच लेता है। जीआइ शीट के ऊपर कांच की स्क्रीन लगाई गई है। शीट से छनकर धूप की गर्माहट पानी को वाष्प में परिवर्तित करती है। यह पानी शीशे के पास लगे पाइप के जरिए एक जगह इकट्ठा होने लगता है।
फेस चेंजिंग मैटीरियल शाम सात बजे तक शुद्ध करता है पानी
कृष्ण प्रताप ने बताया कि पूर्वाह्न 11 से शाम चार बजे तक धूप की गर्माहट अधिक रहती है। इस दौरान अधिक मात्रा में पानी शुद्ध किया जा सकता है पर उन्होंने जीआइ शीट के नीचे फेस चेंजिंग मैटीरियल लगाकर उसकी क्षमता बढ़ा दी है। इससे सूर्य ढलने के तीन घंटे बाद तक यह सेटअप की गर्माहट बरकरार रहेगी और वह शाम सात बजे तक पानी शुद्ध करता रहेगा।
ग्रामीण क्षेत्रों के लिए होगा वरदान
उन्होंने बताया कि साल भर के शोध के बाद यह सेटअप तैयार किया है जिसका खर्च 4500 रुपये आया है। ग्रामीण क्षेत्रों के लिए यह काफी उपयोगी साबित हो सकता है क्योंकि वहां बिजली की दिक्कत रहती है। सूर्य की रोशनी से ग्रामीण फ्लोराइड, क्लोराइड से मुक्ति के साथ मीठा पानी प्राप्त कर सकते हैं।
कानपुर देहात में किया था प्रयोग
कानपुर देहात के रनियां में उन्हें पानी में 10.5 मिग्रा. प्रति लीटर फ्लोराइड मिला जिसे प्लांट में शुद्ध करके 1.1 मिग्रा प्रति लीटर पहुंचाया। पानी में फ्लोराइड की मात्रा 1.5 मिग्रा प्रति लीटर से कम होनी चाहिए।
उन्होंने स्लोबदार लकड़ी के फे्रम, गैलवेनाइज्ड आयरन (जीआइ शीट), थर्माकॉल व कांच के शीशे से एक ऐसा सेटअप तैयार किया है जो धूप की गर्माहट से फ्लोराइड, खारापन व क्लोराइड खत्म करके वाष्पीकरण से एक दिन में आठ लीटर पानी को शुद्ध कर सकता है। उन्होंने अमेरिकन सोसाइटी ऑफ केमिकल में अपना शोध पत्र भेजा है। सिविल इंजीनियरिंग विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ.दीपेश सिंह के दिशा-निर्देशन में कृष्णप्रताप ने यह शोध कर छोटा प्लांट बनाया। उन्होंने बताया कि सबसे पहले जीआइ शीट में पानी भरा जाता है। इस शीट में एक्टिवेटेड चारकोल रहता है जो पानी से हानिकारक तत्वों को खींच लेता है। जीआइ शीट के ऊपर कांच की स्क्रीन लगाई गई है। शीट से छनकर धूप की गर्माहट पानी को वाष्प में परिवर्तित करती है। यह पानी शीशे के पास लगे पाइप के जरिए एक जगह इकट्ठा होने लगता है।
फेस चेंजिंग मैटीरियल शाम सात बजे तक शुद्ध करता है पानी
कृष्ण प्रताप ने बताया कि पूर्वाह्न 11 से शाम चार बजे तक धूप की गर्माहट अधिक रहती है। इस दौरान अधिक मात्रा में पानी शुद्ध किया जा सकता है पर उन्होंने जीआइ शीट के नीचे फेस चेंजिंग मैटीरियल लगाकर उसकी क्षमता बढ़ा दी है। इससे सूर्य ढलने के तीन घंटे बाद तक यह सेटअप की गर्माहट बरकरार रहेगी और वह शाम सात बजे तक पानी शुद्ध करता रहेगा।
ग्रामीण क्षेत्रों के लिए होगा वरदान
उन्होंने बताया कि साल भर के शोध के बाद यह सेटअप तैयार किया है जिसका खर्च 4500 रुपये आया है। ग्रामीण क्षेत्रों के लिए यह काफी उपयोगी साबित हो सकता है क्योंकि वहां बिजली की दिक्कत रहती है। सूर्य की रोशनी से ग्रामीण फ्लोराइड, क्लोराइड से मुक्ति के साथ मीठा पानी प्राप्त कर सकते हैं।
कानपुर देहात में किया था प्रयोग
कानपुर देहात के रनियां में उन्हें पानी में 10.5 मिग्रा. प्रति लीटर फ्लोराइड मिला जिसे प्लांट में शुद्ध करके 1.1 मिग्रा प्रति लीटर पहुंचाया। पानी में फ्लोराइड की मात्रा 1.5 मिग्रा प्रति लीटर से कम होनी चाहिए।
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