त्वचा का रखेगा खास ख्याल और बढ़ाएगा दमक, आ गया ईको-फ्रेंडली साबुन व डिटरजेंट Kanpur News
जल्द ही आपको नहाने और कपड़े धोने के लिए ऐसा केमिकल रहित साबुन व डिटरजेंट मिलने वाला है।
By Edited By: Published: Tue, 16 Jul 2019 01:27 AM (IST)Updated: Tue, 16 Jul 2019 10:08 AM (IST)
कानपुर, [विक्सन सिक्रोड़िया]। जल्द ही आपको नहाने और कपड़े धोने के लिए ऐसा केमिकल रहित साबुन व डिटरजेंट मिलने वाला है, जो त्वचा और कपड़ों को नुकसान नहीं पहुंचाएगा बल्कि दोनों की दमक बढ़ाएगा। राष्ट्रीय शर्करा संस्थान (एनएसआइ) ने गन्ने की खोई (बगास) व नारियल के तेल से प्राप्त फैटी अल्कोहल डेकेनॉल की रासायनिक क्रिया करके इसे तैयार किया है। इस फार्मूले को पेटेंट कराने के बाद अब इसे नेशनल रिसर्च डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (एनआरडीसी) को स्वीकृति के लिए भेजा गया है। वहां से स्वीकृति के बाद इंडस्ट्री के साथ मिलकर साबुन-डिटरजेंट बाजार में उतारे जाएंगे।
कार्बनिक रसायन के प्रोफेसर डॉ. विष्णु प्रभाकर श्रीवास्तव के निर्देशन में रिसर्च फेलो अनुष्का अग्रवाल ने दो साल अनुसंधान के बाद यह जैविक साबुन व डिटरजेंट बनाया है। इसका परीक्षण एनएसआइ की प्रयोगशाला और कुछ लोगों पर भी किया जा चुका है। अनुष्का ने बताया कि गन्ने की खोई में पाए जाने वाले जायलॉन व डेकेनॉल की रासायनिक क्रिया के पहले चरण में जॉयलोज बनता है जबकि अगले चरण में यह ग्लाइकोसिडिक सर्फेक्टेंट में बदल जाता है। यह डिटरजेंट बनाने का मुख्य अवयव है।
इस फार्मूले से डिटरजेंट के अलावा पपीता, संतरा, गुलाब, नीम व एलोवीरा फ्लेवर के नहाने के साबुन बनाए हैं। नदियां रहेंगी स्वच्छ, घटेगी पानी की खपत एनएसआइ निदेशक प्रो. नरेंद्र मोहन ने बताया कि आमतौर पर डिटरजेंट व साबुन पेट्रोलियम पदार्थो से बनाए जाते हैं। इसमें कास्टिक भी होता है जो मैल व गंदगी काटते हैं। जब यही डिटरजेंट मिला पानी नाली व नालों से नदियों में पहुंचता है तो उसका जल प्रदूषित कर देता है लेकिन गन्ने व नारियल के तेल के अवयवों से बना डिटरजेंट व साबुन ईको-फ्रेंडली होगा जिससे त्वचा के साथ नदियों का पानी भी स्वच्छ रहेगा। दूसरी बड़ी बात यह है कि पानी की खपत भी घटेगी।
कार्बनिक रसायन के प्रोफेसर डॉ. विष्णु प्रभाकर श्रीवास्तव के निर्देशन में रिसर्च फेलो अनुष्का अग्रवाल ने दो साल अनुसंधान के बाद यह जैविक साबुन व डिटरजेंट बनाया है। इसका परीक्षण एनएसआइ की प्रयोगशाला और कुछ लोगों पर भी किया जा चुका है। अनुष्का ने बताया कि गन्ने की खोई में पाए जाने वाले जायलॉन व डेकेनॉल की रासायनिक क्रिया के पहले चरण में जॉयलोज बनता है जबकि अगले चरण में यह ग्लाइकोसिडिक सर्फेक्टेंट में बदल जाता है। यह डिटरजेंट बनाने का मुख्य अवयव है।
इस फार्मूले से डिटरजेंट के अलावा पपीता, संतरा, गुलाब, नीम व एलोवीरा फ्लेवर के नहाने के साबुन बनाए हैं। नदियां रहेंगी स्वच्छ, घटेगी पानी की खपत एनएसआइ निदेशक प्रो. नरेंद्र मोहन ने बताया कि आमतौर पर डिटरजेंट व साबुन पेट्रोलियम पदार्थो से बनाए जाते हैं। इसमें कास्टिक भी होता है जो मैल व गंदगी काटते हैं। जब यही डिटरजेंट मिला पानी नाली व नालों से नदियों में पहुंचता है तो उसका जल प्रदूषित कर देता है लेकिन गन्ने व नारियल के तेल के अवयवों से बना डिटरजेंट व साबुन ईको-फ्रेंडली होगा जिससे त्वचा के साथ नदियों का पानी भी स्वच्छ रहेगा। दूसरी बड़ी बात यह है कि पानी की खपत भी घटेगी।
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