खेत में लगे उपकरण बताएंगे मिंट्टी कितनी सेहतमंद
वायु-जल प्रदूषण और मौसम की तरह ऑटोमेटिक सेंसरयुक्त उपकरणों की मदद से खेत की मिंट्टी की सेहत जांची जा सकेगी। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर) और किसान विज्ञान केंद्र (केवीके) ऑनलाइन रिपोर्ट के आधार पर किसानों को सलाह देंगे।
शशांक शेखर भारद्वाज, कानपुर : वायु-जल प्रदूषण और मौसम की तरह ऑटोमेटिक सेंसरयुक्त उपकरणों की मदद से खेत की मिंट्टी की सेहत जांची जा सकेगी। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर) और किसान विज्ञान केंद्र (केवीके) ऑनलाइन रिपोर्ट के आधार पर किसानों को सलाह देंगे। सीरियल सिस्टम इनीशिएटिव फॉर साउथ एशिया इसके लिए प्रदेश के केवीके को तकनीकी सहयोग दे रही है। यह अंतरराष्ट्रीय परियोजना आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात में चल रही है जबकि आइसीएआर के एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी एप्लीकेशन रिसर्च इंस्टीट्यूट (अटारी) ने प्रदेश के कुछ जनपदों में इस दिशा में काम शुरू कर दिया है। सबसे पहले गेहूं व धान के खेतों में उपकरण स्थापित कर रिपोर्ट तैयार की जाएगी।
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कुछ पल में पता चलेगा हवा-पानी और खनिजों का मिंट्टी पर क्या असर
साउथ एशियाई देश में परियोजना शुरू हो गई है। इसमें भारत, भूटान, श्रीलंका, नेपाल, बांग्लादेश समेत अन्य देश शामिल हैं। यहां ऑटोमेटिक मशीनें, सेंसरयुक्त उपकरण स्थापित किए जा रहे हैं। उपकरण मिंट्टी में लगाए जाएंगे। इससे कृषि विशेषज्ञ मिट्टी की गुणवत्ता का कुछ पल में ही पता लगा लेंगे। जानकारी हो जाएगी कि हवा, पानी, उर्वरकों व खनिजों का मिट्टी पर क्या प्रभाव पड़ रहा है।
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रीयलटाइम बेस्ड होगी रिपोर्ट
यह सिस्टम सॉफ्टवेयर से जुड़ा है। यह रीयल टाइम बेस्ड (वास्तविक समय आधारित) है। सर्दी, गर्मी, बारिश के मौसम के मुताबिक आंकड़े अपने आप परिवर्तित हो जाते हैं।
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दूर होंगी किसानों की समस्याएं
आइसीएआर-अटारी के निदेशक डॉ. अतर सिंह के मुताबिक साउथ एशियाई देशों में गेहूं और धान की क्वालिटी, उत्पादन क्षमता, रोग, समस्या के बारे में डाटा जुटाए जा रहे हैं। कई प्रजातियों पर परीक्षण चल रहा है। कानपुर में पहले चरण में दो गांवों के 25 किसानों के खेत में जांच शुरू होगी। इसमें अलग-अलग क्षेत्र में उपकरण लगाकर खेतों की जांच की जाएगी। साथ ही किसानों को दिक्कतें दूर करने की सलाह भी दी जाएगी।
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केवीके वैज्ञानिकों को दी जानकारी
प्रदेश के कृषि विज्ञान केंद्रों के वैज्ञानिकों को आइसीएआर-अटारी में प्रशिक्षण दिया जा रहा है। गुजरात, दिल्ली, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र में संचालित परियोजना के अधिकारियों ने उन्हें उपकरणों और एप की जानकारी दी।
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धान की देर से कटाई पर गेहूं प्रभावित
विशेषज्ञों के मुताबिक पूर्वी उत्तर प्रदेश के किसान धान की देर से कटाई करते हैं, जिससे गेहूं देर से बोया जाता है। इससे गेहूं की फसल प्रभावित हो रही है।
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इन जिलों में चल रही परियोजना
कुशीनगर, देवरिया, महाराजगंज, गोरखपुर, बांदा, बरेली, कानपुर, फीरोजाबाद आदि।