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दिव्यांगों और बुजुर्गों के बुलाने पर दौड़ी आएगी 'स्मार्ट' व्हीलचेयर, भारत में विकसित हुई तकनीक

एलनहाउस इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के छात्रों ने इंटरनेट ऑफ थिंग्स तकनीक से स्मार्ट व्हीलचेयर की है।

By AbhishekEdited By: Published: Mon, 20 May 2019 10:35 AM (IST)Updated: Mon, 20 May 2019 12:19 PM (IST)
दिव्यांगों और बुजुर्गों के बुलाने पर दौड़ी आएगी 'स्मार्ट' व्हीलचेयर, भारत में विकसित हुई तकनीक
दिव्यांगों और बुजुर्गों के बुलाने पर दौड़ी आएगी 'स्मार्ट' व्हीलचेयर, भारत में विकसित हुई तकनीक

कानपुर, [समीर दीक्षित]। अभी तक आपने चेहरे के हाव-भाव और आंखों की दिशा में चलने वाली व्हीलचेयर के बारे में सुना होगा, ये दोनों ही तकनीक अमेरिका में ईजाद कर ली गई हैं। हालांकि अभी तक इनके सिर्फ प्रोटोटाइप ही तैयार किए गए हैं। लेकिन भारत में अब एक ऐसी स्मार्ट व्हीलचेयर विकसित की गई है, जो एक आवाज पर चल कर आ जाएगी। कानपुर के एलनहाउस इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नालॉजी के छात्रों ने पहली बार ऐसी 'स्मार्ट' व्हील चेयर बनाई है, जो पूरी तरह आवाज से कंट्रोल होगी। 

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इंटरनेट ऑफ थिंग्स की मदद से तैयार की

रूमा स्थित इंस्टीट्यूट के छात्रों ने 'इंटरनेट ऑफ थिंग्स' की मदद से इसे तैयार किया है। इसकी खासियत है कि कोई भी बोलकर इसे आगे-पीछे और दाएं-बाएं कर सकता है। पिछले दिनों उत्तर प्रदेश काउंसिल ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (यूपीसीएसटी) की ओर से आयोजित प्रतियोगिता में इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रानिक्स इंजीनियङ्क्षरग (सभी चौथे वर्ष) के छात्रों नवल कुमार (ग्रुप लीडर), उदय कुमार और शिवदास यादव ने इसे प्रदर्शित किया था। छात्रों का दावा है कि इस तरह की व्हीलचेयर बाजार में उपलब्ध नहीं है। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर इसे जल्द ही बाजार में उतारा जाएगा। इसे बेहतर तरीके से तैयार करने के लिए सरकार ने 10 हजार रुपये का अनुदान दिया है।

ऐसे काम करेगी व्हीलचेयर

इस तकनीक को ईजाद करने में छात्रों का मार्गदर्शन करने वाले संस्थान के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ.राहुल उमराव ने बताया कि 'इंटरनेट ऑफ थिंग्स' के तहत हम इंटरनेट से किसी भी डिवाइस को कंट्रोल कर सकते हैं। छात्रों ने व्हीलचेयर में ऑर्डिनो (एयूआरडीआइएनओ) डिवाइस लगाई है। इसे एक स्मार्टफोन से अटैच किया गया है। इसके लिए एक एप भी तैयार की गई है। एप को ओपन कर जैसे ही लेफ्ट, राइट, फॉरवर्ड और बैक बोलेंगे वैसे ही व्हीलचेयर मूवमेंट करने लगेगी।

60 दिन में बनकर हुई तैयार, 20 हजार आया खर्च

व्हीलचेयर को बनाने में छात्रों को 60 दिन से कम समय लगा। इसकी लागत 20 हजार रुपये आई है। डॉ.राहुल उमराव के अलावा असिस्टेंट प्रोफेसर अंकिता तिवारी ने भी इसमें छात्रों की मदद की।

प्रशस्ति पत्र, मेडल व ट्राफी से हुए सम्मानित

यूपीसीएसटी की ओर से आयोजित प्रतियोगिता में इस शानदार मॉडल को प्रदर्शित करने के लिए निदेशक ए.दिनेश कुमार ने छात्रों व प्रोफेसरों की टीम को प्रशस्ति पत्र, मेडल व ट्राफी देकर सम्मानित किया। छात्रों की इस उपलब्धि पर कॉलेज के निदेशक जीजी शास्त्री, कीर्ति मल्होत्रा, संयुक्त सचिव जावेद हाशमी ने भी खुशी जताते हुए छात्रों के उज्ज्वल भविष्य की कामना की है।

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